"बहुत कुछ है करने को,
बहुत कुछ है कहने को,
जब इस शरीर को छोड़ना चाहा,
तब प्रभु ने नये मझधार मे फसाया,
जो जो अपने बन कर आये ,
सब ने ही अपना असली रूप दिखाया,
मन भर चुका था जब इस दुनिया से,
तब माँ को खोया, अपना घर भी खोया,
नये घर में आकर मैंने, अब अपने आप को भी खोया,
सारी ख्वाहिशें अधूरी, सारे सपने अधूरे,
सारी बातें सही, उनका साथ भी सही,
मगर फिर भी इस दिल में एक उदासी भरी..."!!
-