my poetry   (पारस)
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Joined 23 December 2021


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18 FEB AT 15:15

वक़्त की खिड़कियों से
रहा उम्रभर मैं झांकता
और ज़िन्दगी सफर चली
किसी लम्हें में ठहरा हुआ
मैं सोचता रहा कि बढूं
मिले जो कहीं पे कारवां
मगर ये सोचना,गलत मेरा
खड़ा में मंज़िल पे ही था
और ढल रही थी शाम भी
संग,चाँद,रात, उतर रहा
थी उखड़ रही सांस भी
मिट रही थी हर निशान
वो आखरी बार थे लब हिले
हाँ, वो आखरी,ही था,अलविदा
वक़्त की खिड़कियों से
रहा उम्रभर मैं झांकता

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15 FEB AT 21:54

साँसों का बोझ ढोना है
ये तन बदन,जो है मिट्टी का
हालातों का खिलौना है
की बारिशों में है बंजर
और अंगारों पे बिछौना है

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13 FEB AT 12:13

Situations are not the culprit
But the guide towards quality
Of life,one wishes to be the part of

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13 FEB AT 12:08

ना होते तुम तो
क्या होता जीना मेरा
ना होते तुम तो,फिर
क्या ज़मीन क्या आसमान
ना होते तुम तो
दिल शायद धड़कता नहीं
ना होते तुम तो,फिर
क्या गलत और क्या सही
ना होते तुम तो
हर सफर की कहानी जुदा
ना होते तुम तो
क्या इबादत और क्या खुदा

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13 FEB AT 11:52

ज़िंदा रखने को काफी है
काफी है की दिल धड़क उठे
रूह का पिघल जाना काफी है
एक प्यार भरी झप्पी,और
सफर का गुज़र जाना काफी है

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13 FEB AT 11:48

ठहरी ठहरी ज़िन्दगी है
साथ ज़िन्दगी के हर खुशी
खुशिया में छिपी है एक ऊमर
है ऊमर से लिपटे लम्हें कई
लम्हों में जो जी लेते हैं हम
कुछ तन्हाईयाँ और आवारगी

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13 FEB AT 11:41

तुम्हें बाहों में भरकर
रोना है कुछ इस तरह
थी जो दूरियों सी दरिया
हर गम डुबोना है इस तरह
जैसे सफर को मिलती है मंजिल
और दीवाने को मिलता खुदा

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13 FEB AT 11:29

जड़ से ही जीवन जुड़ा हुआ
लगाए जीतना जोर हालात मगर
हर हाल में जड़ है खड़ा हुआ
और जड़ से ही बंधी है उम्मीदें
हर उम्मीदों पे ये खरा हुआ
की अपनी जड़ मजबूत करो
जड़ से ही,टिकी हुई ये दुनिया

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11 FEB AT 13:16

की, रूह तक उतर जाओगे
चाहे जितनी भी हो दूरियाँ,दरमयान
एक दिन, लौटकर आओगे
हम उम्मीद रखतें हैं और यकीन भी
इन्तेहा से पहले, निभाओगे
की आपने वादा किया था
अब वादे से मुकर नहीं पाओगे

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11 FEB AT 6:29

तेरा मुझसे, हाथ छुड़ाने से पहले
ए दिल,गम मुस्कुराने से पहले
जिया होगा तूने भी,हर पल को
दिल तोड़ने की रस्म,निभाने से पहले
आया तू था,बाहों में,लिपटकर
सुना आशियाना, बनाने से पहले
शायद अब, हक नहीं, मेरा सितमगर
यही आखरी अलविदा,हक जताने से पहले

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