"सब ठीक है" ये खुद को समझा रही हूं मैं, फिर भी ना जाने क्यों थोड़ा घबड़ा रही हूं मैं, सही - गलत के मसले में उलझा कर खुद को, जमाने के सामने धोखे से मुस्कुरा रही हूं मैं ।
कहना तो तुम्हें चाँद था, पर वो अमावस रात गवारा ही नहीं... करना चाहती है वो सोलह श्रृंगार तुम्हारे लिए, जिसने अब तक किसी के लिए रूप सवारा ही नहीं... डरती है वो अधरो के इजहार ए मोहब्बत से,, क्या होगा जो तुमने उसका प्रेम स्वीकारा ही नहीं... लोग तो बहुत हैं गले लगाने को इस संसार में,, पर उसकी निगाहों से देखो तो
बेशुमार मोहब्बत ही थी और रहेगी,, अगर तुम्हें भी ऐसा एहसास हो.... तो जता देना 😍 और ना हो,,तो अपने रास्ते से ही हटा देना....
माना तकलीफें होंगी,,सह लुंगी मैं,, तुम्हारी खुशी के लिए,, तुमसे ही दूर रह लुंगी मैं .... फिर भी कभी भूले भटके याद आ जाए मेरी ,,, तो बेझिझक मुझे बता देना....❤️🙂