Murad Ali   (sif@r)
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Joined 28 March 2018


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9 HOURS AGO

पेच ओ ख़म की ये दुनिया तिरे ज़ुल्फ
भूलते हम न फिर वस्ल का रस्ता

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16 HOURS AGO

تپِش تیرے ہجر کی گذرے
تِری زلفوں کے اندھیاروں میں

तपिश तेरे हिज्र की गुज़रे
तिरी जुल्फ़ों के अंधियारों में

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4 MAY AT 11:44

کبھی روشن تو کبھی جِھل مِل
لکھی اُلفت چاند تاروں میں

कभी रौशन तो कभी झिलमिल
लिखी उल्फ़त चाँद तारों में

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3 MAY AT 14:38

جتایا ہے کبھی اُس نے صمد خود کو بتا کر
کبھی وہ مصطفٰیﷺ سے رحمتیں اپنی لُٹائے

जताया हैं कभी उसने समद खुद को बता कर
कभी वो मुस्तफा से रहमतें अपनी लुटाए

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2 MAY AT 11:40

نہ کھلتے گُل یُو شراروں میں
نہ ہو تا گر تُو نظاروں میں

न खिलते गुल यू शरारों में
न होता गर तू नज़ारों में

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1 MAY AT 12:06

इक अभागन मैं तन मन से मैली
जा सकी मैं न पी के द्वारे

धूल भी न चरनन्न की राधा
श्याम मोरी गली जब पधारे

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28 APR AT 11:33

(New lyrics fall in love🎵🎸)

न उसको देखा है
न उसको जाना है
फिर भी है वो सबसे हसीं ..
न उसको खोया है
न उसको पाया है
एहसास वो अनछुइ
न उसको देखा हैं..

अनदेखी अनजानी
बहती वो पानियों सी
वो सारे रूप रंग ले गई ×2
Music break 🎵

न वो सपना है .......
न वो सपना है न हकीकत ही
वो हैं मेरी दीवानगी

न उसको खोया हैं
न उसको पाया हैं
एहसास वो अनछुइ

न उसको देखा हैं .....

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26 APR AT 14:18

کی ذاتِ واحد کے روپ کی بندگی جہاں نے
احد وہ جس سے ملا بے پردہ وہ مصطفیٰﷺ ہے

की ज़ात ए वाहिद के रूप की बंदिगी जहां ने
अहद वो जिससे मिला बेपर्दा वो मुस्तफा हैं

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25 APR AT 13:57

میں کسی کٹھور بے ڈھنگے پربتوں سا
تُو مجھ پہ گرتی برف کی کومل حسیں بارشوں سی

मैं किसी कठोर बेढंगें परबतों सा
तू मुझपे गिरती बर्फ की कोमल हसीं बारिशों सी

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24 APR AT 20:34

وصل سے بھی پرے ہے پرت عشق کی
بے نشاں بے پروں کے بھی اُڑتے رہے

वस्ल से भी परे है परत इश्क़ की
बेनिशां बे परों के भी उड़ते रहे

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