Mukta Kansari❤️   (Muqta kansari❤ Galib 🖊️)
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Joined 6 July 2018


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Joined 6 July 2018
1 MAR AT 19:51

रिश्ते नाते तोड़ के
राम रस में जीना है
इस दुनिया का अजीब रूप रंग है
जीवन रस पी लेना है

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1 MAR AT 19:42

कुछ वक्त थाम कर कभी हमारे लिए भी रख लिया करो
कभी हमारे साथ चाय पे बैठ के कभी प्यार की बातें भी कर लिया करो
सुबह से रात और रात से सुबह
बस इंतजार उस पल का होता है
कब होगा दीदार उनका आंखो पे थकान होता है
सोचते है रातों को लंबे लंबे बात होते
जब नींद पड़ता तो रात से सुबह होते
कभी आपको भी उस पल का इंतजार होता
हरलम्हा मैं उसके पास होता
जिसपल मैं उसके साथ होता
वो लम्हा हमारा सबसे ख़ास होता
रोज दिन बीत जाता है यही सोचते सोचते
कब वो हसीन रात होगा
चांद तारों के पनाह पे
सिर्फ वो और मैं
और प्यार का बात होगा
ना अतीत की ना फ्यूचर की कुछ बाते होते
आंखों पे ख्वाब लिए रोज वही रातें होती है
ना आज का ना कल का कोई ठिकाना है
देखते देखते सांसें तो ऐसे ही थम जाना है
क्यों ना उस खुशनुमा पल को रोज याद कर लें
कैसे हुई मुलाकात
कैसे गई पहली रात
क्या था उन लम्हों में ख़ास
प्यार भरी बातें कर लें
Or रोज खूबसूरत हसीन खुशनुमा रातें कर लें
कुछ खुशी हम आपसे
कुछ दुख आप हमसे बांट लेना
और ऐसे ही मुस्कुराते हंसते हमारे साथ जीवन काट लेना

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11 MAY 2023 AT 20:34

आपकी याद जो आती है
होटों पे मुस्कुराहट आ जाती है
हसीं लम्हें वो हसीं मोहब्बत
आंखों पे छा जाती है

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29 APR 2023 AT 23:15

दिल मेरा नादान है😍
मोहब्बत से भरा खदान है😚

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29 MAY 2022 AT 12:48

तू राज है मेरे शायरी का
तू साज है मेरे शायरी का
तेरे हर एक लफ्ज से मोहब्बत हो जाए
ऐसा अंदाज है मेरे दिलदारी का

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24 MAY 2022 AT 16:53

दुःख तो खोने का होता है
मुझे तो अफसोस है तेरे होके भी न होने का

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20 MAR 2022 AT 23:16

चाहूं तुम्हें तो मेरे ज़िद्द हो तुम
बताऊं तुम्हें तो मेरी सांसे तुम
जो खत्म ना हो कभी वो बातें तुम
ख़्वाबों के मुलाकातें तुम
चांदनी सी गहरी रातें तुम
मेरा खिलता हुआ सवेरा तुम
दिल पे बसा बसेरा तुम
बस तुम तुम बस तुम तुम
और तुम ही तुम😘

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15 MAR 2022 AT 23:09

उनके साथ वो हर हंसी शाम
खुशियां तमाम देती है
जिसका कोई हिसाब नहीं
उनकी हंसी दिल को इतना आराम देती है

बन्द पड़े थे बंगले कब से
अब दिल पे किसी ने दस्तक दी है
क्या सजा दू मोहब्बत को अपनी
जिसने ऐसी हिमाकत की है

बसेरा रूह पे धड़कन पे डेरा है
हर सांसो पे खुशबू उसकी वो मेरा पहला सवेरा है

उसकी हर हरकतों पे जान वारूं
सूरत उसकी हर पल निहारूं
कोई छीन ले ना मेरी मोहब्बत मुझसे
इसलिए , हर पल उसकी नज़र उतारूं

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24 NOV 2021 AT 22:22

तुम्हारा मेरी ज़िन्दगी में आना जरूरी था क्या?
यूं पागलों की तरह तुम्हारा प्यार जताना जरूरी था क्या?
हर बात पर मेरा रूठना, तुम्हारा हर बार मुझे मनाना जरूरी था क्या?
यूं अपनी मजबूरी बता कर , मुझे छोड़ जाना जरूरी था क्या?
जान - जान करते फिरते थे मजबूरी का सहारा लेकर अनजान बन जाना जरूरी था क्या?
यूं छोड़ गए मुझे जैसे लहरों का किनारा
अच्छा छोड़ो सारी बातें
ये बताओ मुझे , हमारी मोहब्बत से ज्यादा जरूरी
तुम्हे और था क्या ?

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27 SEP 2021 AT 10:08

दर्द की भी अपनी एक अदा होती है
जो सहता है उसे वो उसी पे फिदा होती है

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