MRIDUL MISHRA   (∆*आवारा 🦇 परिंदा*∆)
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Joined 16 May 2018


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Joined 16 May 2018
16 DEC 2023 AT 20:43

तुम कहो तो,
मैं,
खुद की सपथ खा लूंगा...
मगर,
मेरी जान,
मैं, तुझे जाने नहीं दूंगा...😊

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28 JUN 2023 AT 15:49

चाहे पूरी दुनियां ही जलानी,
क्यों ना पड़े जाए....
लेकिन ए खुदा,
मेरे मां - बाप के आंखों में एक अंशु न आए...

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28 JAN 2023 AT 14:30

टूटना, आरंभ है जुड़ने का...

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3 JAN 2023 AT 21:20

जिन्दगी ने,
इतना मज़ाक किया कि अब जोक्स की ज़रूरत नही,
बस आइए के सामने खड़ा हो जाता हूं और हंसी खुद ब खुद आ जाती है...

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3 JAN 2023 AT 21:08

अब भला, इससे काबिल मोहब्बत क्या होगी...
लोगो ने तो सिर्फ पागल बोला था,
और देखो, उसने तो बना के छोड़ा...

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3 JAN 2023 AT 21:04

जिसके चेहरे पे मुस्कान देखने के लिए,
हम हसना भूल गए...
आज वही कहते है कि उनके अंशुओं की वजह मैं हूं...

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29 DEC 2022 AT 16:59

कविता :- बेटे
बचपन में ही जिनपे जिम्मेदारियों का पहाड़ होता है,
वो होते हैं बेटे...
मां - बाप के हर उम्मीदें का जो सार होता है,
वो होते हैं बेटे...
अपने आप को भूल परिवार की जो हर जरूरत को पूरा करता है,
वो होते हैं बेटे...
एक - एक ईंट घर बना जो किराए के मकान में रहते है,
वो होते हैं बेटे...

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28 DEC 2022 AT 2:02

कविता :- धीरे - धीरे
चला जाउंगा मैं दूर, कुछ यूं धीरे - धीरे,
सजाया था जैसे तुमने चेहरे पे, मुस्कान धीरे - धीरे...
मिलाई थी नज़रे जैसे तुमने , मुझसे धीरे - धीरे,
चुराया था जैसे तुमने, दिल धीरे - धीरे...
हां, छोडूंगा सांसे मैं, वैसे ही धीरे - धीरे,
मोडूंगा तुमसे मैं मुंह, कुछ यूं धीरे - धीरे...
जैसे जाता है चांद ज़मीं से, दूर धीरे - धीरे,
चला जाउंगा मैं दूर, कुछ यूं धीरे - धीरे...

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26 DEC 2022 AT 22:39

एक तुमसे गुज़ारिश है,
तू मेरी ख्वाहिश है...
दिल से लगा लेना हमको,
बस इतनी सी फरमाहिश है...

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26 DEC 2022 AT 19:43

कविता :- कभी ऐसा तो ना था?

ये घर हमारा, कभी ऐसा तो ना था...
चीज़ों में, तुम और तुम्हारा, कभी ऐसा तो ना था...
गैरों से दोस्ती और मुझसे छुटकारा, कभी ऐसा तो ना था...
खुशियों का तुझे जो तोफा दिया, उसमे खाली का खाली गुब्बारा, कभी ऐसा तो ना था...
मैं और बेचारा, कभी ऐसा तो ना था...

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