हम बोते क्रोध के बीज हैं और चाहते हैं कि शांति मिल जाए हम हर क्षण सभी के समक्ष बोते बीज घृणा के हैं जबकि चाहते हैं कि प्रेम मिल जाए हम सभी के समक्ष फैलाते शत्रुता हैं और चाहते हैं कि सभी से अपने लिए मित्रता ही मिले याद रखना कि जिनकी नज़रें दूसरों की अच्छाई देखने में कमजोर होती है अक्सर उनके कान दूसरों की बुराई सुनने में जरूरत से ज्यादा तेज होते हैं। इसलिए बुरा नहीं अच्छा खोजें। राही
आपके द्वारा किये गए प्रयासों पर प्रशंसा मिलने पर उत्साहित होना सहज है , और प्रशंसा मिलना स्वाभाविक है , बस प्रशंसा के पीछे के भाव को समझ कर चलना चाहिए । रकेश # राही
सुख की कामना सभी करते है परन्तु कोई सुन्दर फ़ूल बिना काँटों के नहीं होता यानि दुख के बिना सुख का अहसास नहीं होता जैसे धूप में चलने के बाद छाँव में सुकून मिलता है । राकेश # राही
लक्ष्मी पुरुष को पुरुषार्थ करने हेतु जगाती है एवं नर को नारायण बनने हेतु प्रेरित करती है परन्तु नर मोह के जाल में उलझ कर लक्ष्मी और नारायण को ही भुला देता है फिर वो मद में वो करता है जो उसके कर्मफल को ही पलट कर रख देता है । राकेश # राही
हर परिवार में भाई - भाई , बहनें इसलिए होते है ताकि एक परिवार पूर्णा हो सके और सबसे बड़ी बात सब एक दूसरे में खुद को देख पाएं कि वो कैसे दिखते है । राकेश # राही
कोई भी सवाल कितनी भी बदतमीजी से पूछा जाये, उसका जवाब हमेशा बुद्धिमानी से एवं विवेक से दिया जाना चाहिए क्योंकि जब इतिहास लिखा जायेगा तो सवाल नहीं बल्कि जवाब दर्ज किया जाता है । राकेश @ राही
दुनिया के सागर मिल के भी इतने गहरे नहीं होते , जितने चेहरों के पीछे चेहरे होने लगे है । अश्कों के सागर मिल के भी इतने हलके नहीं होते, जितने अश्क अब पलकों पे ठहरने लगे है । राकेश # राही