दो महीने के ऐली हाथी और लिटल ऐंट चींटी मे घनिष्ठ मित्रता थी. दोनों रोज़ चंबा के चौगान मैदान मे खेलते थे.
लिटिल ऐंट का तो घर ही वहीं था, ऐली आता था प्रति दिन लिटिल ऐंट से मिलने.
बस एक समस्या थी, ऐली को लिटिल ऐंट की बात सुनने के लिए सांस रोकनी पड़ती थी.
लिटिल ऐंट के घरवाले और घरवालियां इस मित्रता से खुश भी नही थे कि किसी दिन लिटिल ऐंट के प्राण ऐली के सांस लेने से संकट मे ना पड़ जाएं.
लिटिल ऐंट को इस बात की परवाह ही नही थी.
लेकिन एक दिन ऐली चौगान मैदान आया ही नहीं.
ऐली को चिंता हुई, पर उसे लगा कल आएगा तो पूछेगी क्यों नही आया.
पर ये क्या ऐली तो कल, परसों, तरसों, नरसों किसी भी दिन नही आया.
अब तो लिटिल ऐंट गुस्से मे सफेद नीली हो गई..., नहीं लाल तो वो पहले ही थी न और पीला रंग उसे पसंद नहीं था.
घर जाते ही उसने अपने घरवाले और घरवालियों की सभा बुलाई और कहा जल्द से जल्द डलहौजी या मैक्लोडगंज का कोई रईस चींटा देखकर उसके साथ लिटिल ऐंट की शादी कर दी जाए.
घरवाले खुश हो गए, और उन्होंने धूमधाम से लिटिल ऐंट की मैरिज कर दी.
कहानी खतम पैसा हजम
जो तुम किसी ने नहीं दिया.
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