मैं पंछी हूँ... छोटी छोटी उडाने भरती पंछी... वो उडने के बहाने ढूंढती पंछी... मैं पंछी हूँ... किस्मत की एक अज़ीब दास्तान सुनाती पंछी... अपने हाथों से अपने पंखों को काटने की दास्तान सुनाती पंछी... हालात का एक अलग ही अक्स दिखाती पंछी... पंछी की कहानी सुनाती पंछी... मैं पंछी हूँ...
किसी पुराने पहचान के इंसान से ... कुछ बरस बाद मिलना और ये महसूस करना .... के तुम अब बस उसका चेहरा पहचानते हो ... उस चेहरे के पीछे का जो इंसान है ... वो पहले से इतना अलग हो गया है ... के जैसे तुम उसे जानते ही नहीं ..
कितना अजीब होता है ....
सिर्फ चेहरों का ना बदलना और उनके पीछे के इंसान का अजनबी हो जाना.
नये की खातिर पुराने पत्तों का टूट जाना ll सतत प्रक्रिया है हरे पत्तों का सूख जाना ll सुख और दुख का मतलब बस इतना है, पत्तों का खूब आना, पत्तों का छूट जाना ll"
lo aaj to wo bhi saath aa gye jinhe, apne rishte ko bachane ki bji umeed na thi... aur nafrat me wo bdh rahe jinhe pura bharosa tha, hai wo ek dusre k hi...