Monika Poswal   (Monika Poswal ✍️🏻)
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Joined 5 September 2018


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Joined 5 September 2018
25 MAR AT 1:16

सफ़र यादों की एक ऐसी पोटली है,
जिसमें जब हाथ डालोगे कुछ अजीज़ ही निकलेगा...

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11 FEB AT 17:02

मोहब्बत पाक हो, इज़हार भी हो जाए
इकरार/इन्कार का सोचें, ये ज़रूरी तो नहीं
पसंदीदा जगह, मिट्टी की सौंधी सी खुश़बु ही काफ़ी
फ़ूलों का होना ही ज़रूरी तो नहीं
चाय की चुस्कियां और साथ तुम्हारा हो
तोहफ़े भी होने चाहिए, ऐसा ज़रूरी तो नहीं
भरोसा, एहसास रिश़्ते का हर शय में हो
सिर्फ़ वादे ही किए जाएं, ये ज़रूरी तो नहीं
इश्क़ रूहानी, मुर्श़िद की इक झलक ही काफ़ी
रिश़्ता जिस्मानी भी हो, ऐसा ज़रूरी तो नहीं...

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7 AUG 2023 AT 18:30

बुलवाए इक दिन दो अनजान, हुआ मिलना, नये इक रिश़्ते में जुड़े
श़ुरुआत हुई रस्मों की, हुई सगाई, दोनों तब मंगेतर बने
अहमियत जानी रिश़्ते की, शुरू किया समझना, दोनों फिर दोस्त बने
हुई बातें, मुलाकातें हुई, दोस्ती कुछ लगी थी बढ़ने
कुछ रहा वक़्त ग़लत, आयी कुछ ग़लतफ़हमियां, दोस्त वो दोनों खफ़ा हो चले
दिन बढ़ते गये, नाराज़गी बढ़ी इस कदर, ठान बैठे दोस्ती, रिश़्ता सब ख़त्म कर दें
वक़्त थोड़ा गुज़रा, बात फिर हुई, दोस्ती कुछ हद तक लगी संभलने
फिर दौर चला रस्मों, रिवाज़ों का, शादी के बंधन में बंधे
जाना बेहतर इक दूजे को, बढ़ा यक़ीन, गहराई दोस्ती की लगे समझने
मान रखना, ख्याल करना, दोस्ती लगी यूँ प्यार में बदलने
लड़ते अब भी हैं, ग़लतफ़हमियां भी हैं होती, मश़रूफ अब भी रूठने मनाने में
फर्क़ बस इतना अब, इक दूजे को समझ, चल रहे अपनी दोस्ती संवारने...

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28 JUN 2023 AT 18:49

यूँ तो ये ज़िन्दगी भी कहानी है सांसों के सफ़र की
पर अलग ही दास्ताँ होती है हर दुनियावी सफ़र की
निकलो अगली दफ़ा किसी सफ़र पर, देखना बड़े ग़ौर से
रूबरू होंगे कई नयी कहानियों से
कोश़िश़ है कुछ कहानियां साँझा कर पाऊँ
जो देखा उनका निचोड़ निकाल पाऊँ
कहानी एक हॉस्टल जाते बच्चे के अकेलेपन की
स्टॉप तक छोड़ने आयी माँ की फ़िक्र की
कहानी साथ बैठे अनजान से मिली तसल्ली की
रास्ते भर अपनेपन की कमी मिटाने की
एक कहानी इंतज़ार की
बेताबी भरी जिसमें अपने बच्चों से मिलने की
कहानी किसी ज़िन्दादिल बुज़ुर्ग के मज़ाकिया लहजे की
कोश़िश़ अपने दर्द को हँसी के ठहाकों में उड़ाने की
कुछ ऐसी ही भरी मिल जाएगी पोटली कहानियों की
बस देर है फोन से निकल असल जिंदगी को निहारने की...

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26 JUN 2023 AT 10:36

किसी ने पूछा, जिंदगी क्या है?
मैंने बस तुम्हारी तस्वीर दिखा दी...

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4 MAY 2023 AT 17:41

बंदिश़ें
मिलती हैं कुछ विरासत में
तो कभी तोहफ़े के तौर पर
मिलती हैं कहीं इज्ज़त के हवाले से
तो वहीं डर की चादर में लिपट कर
अनदेखी सी ये डोर जो दिखती नहीं, मग़र
जकड़ा है हर किसी को इसने कसकर
बुरा नहीं कहूँगी बंदिश़ें लगाना, पर
हर वक़्त, हर जगह ये सही भी नहीं
क्यूँकी
ज़ोर से जितना दबेगा गुब्बारा कोई
फ़टना तय है उसका, उतना जल्द ही...

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6 APR 2023 AT 16:56

कभी कभी ख़्याल ये आता है सब कुछ लिखकर बयाँ कर दूँ
जो कुछ भी दबा इस मन में इन पन्नों पर उढ़ेल दूँ
होता है तभी सामना सच्चाई से इस कदर
क्या कहेंगे लोग, बस पसरा है हर तरफ़ इक यही डर
सोचती हूँ तोड़ डालूं हर वो बंदिश़ों की अनदेखी डोर
मिली जो हमेश़ा हर आज़ादी से पहले
दब जाती है फ़िक्र तले तब आवाज़
फिर चीख बन जाने से पहले...

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19 FEB 2023 AT 10:15

सोए तो इस जैसा मासूम कोई नहीं
जागते ही भागे ज्यों चाबी भरी इक गुड़िया
रोये तो उठा ले घर, पड़ोस सिर पर
खिलखिलाना उसका जैसे खुली कोई खुशियों की पुड़िया...

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5 FEB 2023 AT 22:57

श़ायद यही मेरी तकदीर है

चलने की ग़र करूँ कोश़िश़, ख़ुद को कभी समेटकर
ठोकरें रास्तों की, फिर से मिलती हैं बाजू फैलाए
तब लगता है
श़ायद यही मेरी तकदीर है
निभाना चाहूँ जब हर रिश़्ता, वज़ूद अपना मिटाकर
फ़ितरत लोगों की, अहमियत मेरी ब्याँ कर जाए
तब लगता है
श़ायद यही मेरी तकदीर है
करूँ कोश़िश़ जो मुस्कराने की, बीता सब पीछे छोड़कर
अनकही वो बातें, आंसुओ से आंखे जब भर जाएं
तब लगता है,
श़ायद यही मेरी तकदीर है...

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28 JAN 2023 AT 15:44

ज़रूरी नहीं साथ रहने से ही रिश़्ते मज़बूत होते हैं
कई बार,
दूर होकर भी मौजूदगी हर वक्त रहती है
ज़रूरी नहीं हर पल बात करने से ही रिश़्ते मज़बूत होते हैं
कई बार,
कुछ ना बोलकर भी ख़बर हर वक्त की रहती है
ज़रूरी नहीं सामने रहने से ही रिश़्ते मज़बूत होते हैं
कई बार,
बिन देखे भी सूरत सामने हर वक्त रहती है...

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