बुलवाए इक दिन दो अनजान, हुआ मिलना, नये इक रिश़्ते में जुड़े
श़ुरुआत हुई रस्मों की, हुई सगाई, दोनों तब मंगेतर बने
अहमियत जानी रिश़्ते की, शुरू किया समझना, दोनों फिर दोस्त बने
हुई बातें, मुलाकातें हुई, दोस्ती कुछ लगी थी बढ़ने
कुछ रहा वक़्त ग़लत, आयी कुछ ग़लतफ़हमियां, दोस्त वो दोनों खफ़ा हो चले
दिन बढ़ते गये, नाराज़गी बढ़ी इस कदर, ठान बैठे दोस्ती, रिश़्ता सब ख़त्म कर दें
वक़्त थोड़ा गुज़रा, बात फिर हुई, दोस्ती कुछ हद तक लगी संभलने
फिर दौर चला रस्मों, रिवाज़ों का, शादी के बंधन में बंधे
जाना बेहतर इक दूजे को, बढ़ा यक़ीन, गहराई दोस्ती की लगे समझने
मान रखना, ख्याल करना, दोस्ती लगी यूँ प्यार में बदलने
लड़ते अब भी हैं, ग़लतफ़हमियां भी हैं होती, मश़रूफ अब भी रूठने मनाने में
फर्क़ बस इतना अब, इक दूजे को समझ, चल रहे अपनी दोस्ती संवारने...
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