तुम्हें पता है ये इश्क मेरे लिखने की वजह है
तो मैंने तुम्हें भी लिखा
हर बात में
हर खुशी में,हर गम में लिखा
आंसु भरी आंखों से ,अंधेरी रातों में
तुमसे जुड़ी बातों को लिखा
कई बार दिल में कुछ खनका
तब लिखा,
कई हादसे हुए दिल के साथ तब तुम्हें लिखा,
मेरे सारे एहसास लफ्ज़ बन कर,
जैसे कागजों पर उतर आते थे
पर तुम्हें पता,इतने सालों में
इस बार क्या हुआ
मैं नही लिख पाई,
मेरे एहसास लफ्ज बन कर इस बार बाहर नही आए
वो लफ्ज वही दफन हो गए,
एहसास वही मर गए,
वो जो पहले कुछ टूट गया था न,
वो हर रात मुझे चुभता था, पर
इस दफा हादसा इतना गहरा था कि
वो चुभा नही, वो सीधे मर गया
और अब
बस एक सन्नाटा पसरा हुआ है,
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