तुम बहुत अच्छे आर्टिस्ट हो।
सच!
मैं खुद सबसे बड़ी प्रशंसक रही हूँ तुम्हारी..
मेरा चेहरा आज भी खिल उठता है सोचकर..
किस तरह तुमने उकेरे थे अपने खूबसूरत रंग,
मेरे मन के कैनवास पर।
जानती हूँ मैं
कितना मुश्किल होता है
किसी कोरे कागज़ को इन्द्रधनुषी कर देना,
उतना ही जितना किसी रोते हुए को हँसा देना।
मेरा मन भी वैसा था .. ख़ाली .. कोरा
तुमने मुझे हँसाया .. बनाया..
एहसास कराया सिर्फ कल्पित नहीं होती
प्रेम कथाएं..
सच होती हैं,
ईश्वर के अस्तित्व से भी ज़्यादा।
कभी ख़ुद पर संदेह करो
तो सुनो,
मेरी कविताएं पढ़ना।
मुझसे ज़्यादा नहीं जानता कोई,
तुम मेरे कौन हो
तम प्रेम हो।
ईश्वर हो।
सत्य हो।
विजय हो।
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