Mona Ben   (|Mona|)
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Joined 28 April 2020


Joined 28 April 2020
23 AUG 2022 AT 23:39

ना जाने आज आसमां से कैसी सौगात बरसी है
एक बेचैन रात मेरे गले आ लगी है

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29 JUN 2022 AT 16:06

एक बार फिर

कुछ चाहने की इच्छा है
दिल से तुम्हे पाने की इच्छा है

नाराज़ ना होना मुझसे मेरी जां,
क्योंकि तुम्हे एक बार फिर सताने की इच्छा है

तुमसे लड़ कर रूठ जाऊ
कुछ इस तरह से हक़ जताने की इच्छा है

यूंही बैठे रहें हम खामोश साथ मैं
इस खामोशी में फिर डूब जाने की इच्छा है

चार कदम से भी ज़्यादा
साथ चलू मैं तुम्हारे,
आखरी सांस तक साथ निभाने की इच्छा है

एक बार फिर.........
एक बार फिर.........
और एक बार फिर ......

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16 JUN 2022 AT 21:31

उथल-पुथल करती
मन को बेचैन
बेबस हो जाता है अक्सर आदमी
जब इनके घेरे में आता है।

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5 JUN 2022 AT 17:15

पर्यावरण के लिए हमें किसी कविता को लिखने की आवश्यकता नहीं है यह तो एक ऐसा विषय है जिसे हमे प्रायोगिक तौर पर करना बहुत ज़रूरी है, परंतु हम केवल किताबो पर ही अच्छी बाते लिख देते है।

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5 JUN 2022 AT 17:09

कोई उसका ज़िक्र भी करे तो,
मन के किनारों पर यादों का सैलाब उमड़ जाता है!!

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15 MAY 2022 AT 16:21

वर्णन करने की अभिलाषित हूं,
उन विलोचनों की।
जिन्होंने दुर्बल कर दिया है
इस मन को निर्नीमेष
उन विलोचनों में तिर्तिषा की

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22 APR 2022 AT 1:13

तुम आकाशगंगा का केंद्र,
जिसके चारों ओर,
चक्कर लगाती,
सूर्य के समान मैं!!

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13 APR 2022 AT 9:04

प्रेम भाग्य से मिलता है,
और भाग्य हमारे बस में नहीं।
अतः मैं अपने
अभागे प्रेम को स्वीकार करती हूं!!

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15 MAR 2022 AT 23:18

दर्द की दास्तां सुनने को तो बहुत है,
मगर अब लिखना ही सुकून देता है!

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7 MAR 2022 AT 23:24

मन के प्रत्येक कोने में,
केवल एक ही परछाई दिखती है
जिसे मैं हर क्षण मिटने का प्रयास करती हूं!!!

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