घरवालों की नजरो में,
चौकीदार चले जाता है,
जब घंटी सुनते ही सांझ,
दरवाज़े पे चले जाता है
वो बस कुंडी खोलते हुए,
उसकी उमीद रखता है,
उम्मीद कायम रहती है,
बस इंसान चले जाता है
लाल लिबाज़ में सोचते है,
मै उसका साथी लगता हूं,
मोहब्बत की रेल गुजरते ही,
झंडा लाल चले जाता है
इश्क़ और आशिक़ी मे,
कोई डूबने की नहीं सोचता,
ये किस जहाज में चढ़कर,
शायर चले जाता है
कलाकारी साहब रेह जाती है,
कलाकार तो चले जाता है
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