जीवन तो मोह माया के पाश में बंधा हुआ एक भ्रम है ।
छूटे जो इस फंद से, केवल उसे ही मिलता ब्रह्म है ।।
भले ही मूंदे नेत्र, सदा शिव ध्यान में रहे ।
पर जग की हर खबर, मेरे शंकर को रहे ।।
ये भोला मेरा बाबा, चाहे भोला बड़ा है ।
पर हर मुश्किल में, मैं जानूं ये सबके साथ खड़ा है ।।
ये शंभू मेरे, भंडारी है, ये महाकाल, त्रिपुरारी है ।
अपने ही अश्रुओं की माला जिन्होंने, अपने कर पे धारी है ।।
ये भुजंग भूषण, अवघड़ी, ये ही तो कपाली, कंसारी है।
जिन्होंने पतित पावनी माँ गंगा, अपनी जटा में धारी है ।।
ये पिनाकधर, ये कपिलेश्वर, ये आशुतोष, ये पिंगलेश्वर, ये सोमनाथ है भस्म रमैया ।
ये चंद्रमौली, ये दिगंबर, ये संगहारक, ये भूतेश्वर, जो जीवन नईया के है खिवैया।।
ये शमशान के अघोरियों के इष्ट, ये ही है सर्वोत्तम, ये ही तो सर्वश्रेष्ठ है ।
ये देवाधीदेव, ये महादेव, जो सब देवों में जेष्ठ है।।
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