जज़्बात दिल के अगर दिल मे ही रहे तो अच्छा होगा
शमा जिस महफिल की हो उसी महफिल मे जले तो अच्छा होगा,,
नही होता सही हर किसी का दामन थाम लेना
ना दिया जाए हर किस्से को आशिकी का नाम तो अच्छा होगा,,
मय बहती है यूं तो यहां मैखानों मे हर चौक पर
नशा अगर पिलाए दिलबर अपनी निगाहों से तो अच्छा होगा,,
जो जा चुका है तुम्हे तन्हा करके पहले कभी
उसकी यादो को भी तन्हा छोड़ दिया जाए तो अच्छा होगा,,।।
-