कि, न खोलो तुम अपनी हया और वफ़ा का पर्दा,,
तुम अपनी आंखों को ज़ुबां ही ज़ुबां होने दो,,
बसा लो तुम हमें अपनी बाहों में इस क़दर कि,,
तुम हमें अपनी दिल,धड़कन और रूह में शुमार होने दो,,
नहीं आना चाहते हम ता उम्र तक भी होश में तुम हमें,,
बस अपने ख़्यालों में बस अपने ख़्यालों में खोया रहने दो,,
कई दिनों से कहना तो बहुत कुछ चाहते हैं हम तुम से,,
मगर, हमारे दिल ने कहा छोड़ो जाने दो, आज रहने दो,,
लोग कहते हैं कि, दूरियां बढ़ाने से इश्क़ में दर्द होता है,,
कुछ तो तुम इस ना–चीज़ को भी कभी कभी सहने दो,,
नादान परिंदे हैं हम न दो हमारे अरमानों को ज़रा भी पंख,,
मिट्टी से बनें हैं इसलिए हमें इस मिट्टी में ही मिला रहने दो!!
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