Mohammad Aadil Sheikh   (Adil_Fard)
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Joined 1 May 2024


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Joined 1 May 2024

कई कसमें कई वादे ,
यूं ही हाथों में हाथ लिए ।
चल देंगे अंगारों पर ,
प्यार की सौगात लिए ।

ज़माना आतिश परस्त तो है ,
हमसे जल जल मर जाएगा ।
जब तुम्हारा साथ हो ,
कोई क्या कर पाएगा ।

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मैं गुज़िश्ता दौर के बेदर्द खयालों में रहा ,
दर्द देते , सुर्ख सुर्ख , पाओं के छालों में रहा ।

मैं वो मजबूरी हूं जो , मेहनत कशों के साथ है ,
मैं हमेशा भूख के तीखे सवालों में रहा ।

मेरी मर्ज़ी और न मर्ज़ी की ग़रज़ किसको पड़े ,
मैं गरीबों और अमीरों की मिसालों में रहा ।

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इस्हाक मुल्तानी साहब के नज़र

हम तेरी ग़ज़लों के कायल ,
तेरी नज़्मों के आशिक हुए ।
तुम शायर हुए ,
या फहम के भगवान हो गए

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मेरी खुशियों की चाबी ,
तुम कही ले कर गएं ।
मैं बंद ताले ले कर ,
तुम्हें ढूंढता रहा ।

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18 MAY AT 15:59

कभी रमज़ान में होली ,
कभी नौरात्र में ईद ,
हमने कुदरत में भी ,
क्या खूब भाईचारा देखा है ।

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18 MAY AT 15:41

वो हैरत ज़दा है ,
मेरे हुस्न ए सुलुक से ,
जो कभी यकीन के ,
काबिल न थे ।

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17 MAY AT 18:00

someone ask Achhe Din Kab Ayege

Le Sarkar :

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16 MAY AT 14:26

तुझसे हुस्न ए सुलूक में , एहसान शर्मा गया ,
और तेरी हठ धर्मी पर , शैतान शर्मा गया ।
ये तेरी बेरुखी शायद , कमाल ए मिजाज़ था ,
इतना हुआ बदनाम , के इल्ज़ाम शर्मा गया

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16 MAY AT 12:45

मेरे ज़ख्मों को ज़र्द रहने दे ,
बाक़ी इस दिल में दर्द रहने दे ।
तूने जो थोड़ी सी मुहब्बत की ,
मुझपे ता उम्र कर्ज़ रहने दे ।

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15 MAY AT 23:35

मफाद परस्ती की शराब में ,
बे शर्मी अंगूर का
और
चापलूसी पानी का काम करती है

और इस शराब का नशा ,
हलाकत में डाल देता है

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