आएगा वक्त तेरा भी, थोड़ा तो सबर करचलता चल, क्या पता मंजिल मिले अगले मोड़ परये कांटे ये कंकर सब तेरे आंसुओ का हिसाब देंगेअभी झेलना है बस तुझे, ये जख्म सारे मुस्कुराकर। -
आएगा वक्त तेरा भी, थोड़ा तो सबर करचलता चल, क्या पता मंजिल मिले अगले मोड़ परये कांटे ये कंकर सब तेरे आंसुओ का हिसाब देंगेअभी झेलना है बस तुझे, ये जख्म सारे मुस्कुराकर।
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ख़्वाब लाखों सजाए, नींद की गलियों से गुजरते हुएघने अंधेरे में छिपे बादलों के पीछे से,सूरज बन निकल जाना है! -
ख़्वाब लाखों सजाए, नींद की गलियों से गुजरते हुएघने अंधेरे में छिपे बादलों के पीछे से,सूरज बन निकल जाना है!
What's prove I'm not like others, I don't have to prove it. If you think I'm not good, then it's really very good. -
What's prove I'm not like others, I don't have to prove it. If you think I'm not good, then it's really very good.
तुम्हारे बुलाने से अगर आते लोगहमसे ज्यादा बिखर जाते लोग!फिर न जाने कैसे छुपाते किस्सेकिस किस से बात बताते लोग! -
तुम्हारे बुलाने से अगर आते लोगहमसे ज्यादा बिखर जाते लोग!फिर न जाने कैसे छुपाते किस्सेकिस किस से बात बताते लोग!
बरसो पुराना हिसाब हूं मैं..जो पढ़ा नहीं किसी ने, वो किताब हूं मैं..,कहने को तो लोग कहते ही हैं गैरजिम्मेदार और मतलबीमगर जैसा भी हूं, कसम से, बेहद लाजवाब हूं मैं....! -
बरसो पुराना हिसाब हूं मैं..जो पढ़ा नहीं किसी ने, वो किताब हूं मैं..,कहने को तो लोग कहते ही हैं गैरजिम्मेदार और मतलबीमगर जैसा भी हूं, कसम से, बेहद लाजवाब हूं मैं....!
मेरी हकीकत तो देखो, रूह जल रहीं मगर उठा कहीं धुआं नहींअजीब क्या है? मैं उसे खोने से डर रहा हूं, जो कभी मेरा हुआ नहीं!! -
मेरी हकीकत तो देखो, रूह जल रहीं मगर उठा कहीं धुआं नहींअजीब क्या है? मैं उसे खोने से डर रहा हूं, जो कभी मेरा हुआ नहीं!!
मेरी हर हकीकत से अनजान हो तुमफिर कैसे भला कहूं मेरी जान हो तुम! -
मेरी हर हकीकत से अनजान हो तुमफिर कैसे भला कहूं मेरी जान हो तुम!
मैं राज इक गहरा हूं, मगर तन्हा हूं अभीदिल का उलझा हुआ, बड़ा नन्हा हूं अभीनहीं मुझे चाहत कि साथ चले कोई मेरेठहरी हुई घड़ी का, बस इक लम्हा हूं अभी। -
मैं राज इक गहरा हूं, मगर तन्हा हूं अभीदिल का उलझा हुआ, बड़ा नन्हा हूं अभीनहीं मुझे चाहत कि साथ चले कोई मेरेठहरी हुई घड़ी का, बस इक लम्हा हूं अभी।
बहना तेरी मुस्कान पर, इक जान क्या सौ जान भी मैं वार दूंबांधे हाथो में राखी प्यार की, एक बार क्या सौ बार ये त्योहार दूं। -
बहना तेरी मुस्कान पर, इक जान क्या सौ जान भी मैं वार दूंबांधे हाथो में राखी प्यार की, एक बार क्या सौ बार ये त्योहार दूं।
बिना गुरु के तन को ढाल लेना सम्भव है, परन्तु मन को नहीं!गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं🙏 -
बिना गुरु के तन को ढाल लेना सम्भव है, परन्तु मन को नहीं!गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं🙏