मनमित सिंह :-   (शब्द से सुकून ..✍️)
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Joined 27 February 2019


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सुनों ..

मेरे कविताओं,कहानियों में सदैव तुम हो..
जैसे श्रीमद्भागवत गीता में परमब्रह्म परमात्मा..

"श्रीकृष्ण"

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प्रेम को तो बचा रखा है,
नदियों ने,
पर्वतों ने,
पेड़ पौधे और झाड़ियों ने,

मनुष्य ने तो केवल,
प्रेम करने का स्वांग रचा है।

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सुनो...
तुम मेरे दिल की किताब हो
अगर कभी तुम्हें
मेरे दिल का हाल जानना हो
तो एक बार...
आईने के सामने खड़ी होकर
बस एक नजर
खुद को
मेरी नजर से देख लेना
तुम्हारी सांसों में
अनगिनत ज्वालामुखी फूट पड़ेंगे
और आंखों में पानी उतर आयेगा ।

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ईश्वर के आशीर्वाद तुल्य है
"तुम्हारा प्रेम"
प्रत्येक परिस्थिति में बना रहता है
संबल मुझ पर।।

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सूर्य को अर्पित की गई जलधार हो तुम ,
किसी पूजा का नैवेद्य ,
अतिथि का सत्कार हो तुम।

शंख की ध्वनि ,
मन्त्रो का उच्चार हो तुम।
किसी कविता का आरंभ ,
कथा का उपसंहार हो तुम।
हमारे लिए तो
महादेव जितने ही प्यारे हो तुम...!

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AC फेल है इस हवा के आगे।

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अस्सी से मणिकर्णिका तक का सफर
तुम्हारे साथ बिताना है.....
तुम्हारे इश्क़ में हमको बनारस हो जाना है..!

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कुछ लड़के होते है
इतवार जैसे सुकून से भरे हुए
जिनके काँधे पर सर रख कर आप
हाले दिल कह सकते हो ,

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प्रकृति को सर्वोपरि मानते हो तो
हर स्त्री का सम्मान करो,
ईश्वर की पहली रचना है वो । 🌼💛

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तुम्हारे सारे रंगों में
सबसे ज़्यादा पसंद है मुझे तुम्हारी सादगी,
इतना कम शब्दों में सहज तरीक़े से कह देते हो
वो बातें जिन्हें सब सुन तो सकते है,
पर समझ वही सकता है जिसने तुम्हारी
आँखें पढ़ी हो तेरी तस्वीर में ...

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