मैं जानती हूँ कि ऑटिज्म डिस्ऑर्डर से पीड़ित एक ऐसी घनघोर जंगल के रास्ता की तरह जिसमें इंसानी बस्ती का रास्ता ढूंढना उतना ही कठिन काम जितना ऑटिज्म का समाधान को ढूँढना है मैं नहीं जानती हूँ कि मेरी यह यात्रा सफल होगी या फिर घनघोर जंगल में कही गुम हो जाऊँगी लेकिन फिर भी मैं यह यात्रा करना चाहती हूँ अपने ऑटिज्म बच्चे के लिए क्योंकि मैं इसकी माँ हूँ
जब भी कभी आप ऑटिज्म बच्चों से मिले तो ये नही सोचिए कि वो अपना काम करने में असक्षम है क्योंकि जब इंसान की कुछ इन्द्रियां कार्य करना बंद कर देती है तो दूसरी इन्द्रियां कमजोर इन्द्रियां से कहीं लाख गुना ताकत बढ़ा देती है इसीलिए कोई भी ऑटिज्म डिस्ऑर्डर असक्षम नहीं होता है बल्कि हर एक ऑटिज्म बच्चा हमेशा शर्वश्रेष्ठसामर्थवान होता है
यह जरूरी नहीं है कि ऑटिज्म बच्चा हमेशा अमीर परिवार में ही पैदा हो लेकिन कई बार गरीब परिवार मे पैदा होने के कारण हर ऑटिज्म बच्चों को थैरेपी की सुविधा नहीं मिल पाती हैं क्योंकि हमारे समाज मे ऑटिज्म के बारे जागरूकता की कमी होने के वजह से वो मासूम बच्चे को समाज के द्वारा अत्यंत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और उसी वजह से माता-पिता को सामाजिक लड़ाई कठिन हो जाती है ऐसे हालात में जरूरी होता है हर व्यक्ति को ऑटिज्म डिस्ऑर्डर के बारे जाने और समझे
कई बार जिंदगी मे एसा दिन भी आता है कि ऑटिज्म बच्चों के परिवार मे से एक व्यक्ति यह सच को स्वीकार नही कर पाता है कि उसके घर मे एक ऑटिज्म बच्चा पैदा हुआ है ऐसे हालात मे जरूरी है कि ऑटिज्म के माता-पिता अपने मन मे धैर्य बनाए रखे और अपने परिवार के वो हर व्यक्ति को समझाऐ एक टीचर की तरह क्योंकि माता-पिता का सच्चा प्यार ही अपने ऑटिज्म बच्चे के लिए उसे समाज से लड़ने और बेहतर ज़िन्दगी देने में सक्षम बनाएगा
बहुत बड़ा समाज एक साथ मिलकर भी एक ऑटिज्म बच्चों को बेहतर समाज तैयार कर के नहीं दे सकते है लेकिन एक ऑटिज्म बच्चा अकेले ही खुद के लिए बुरा समाज झेल लेता है खुद के लिए पागल, दिमाग से बीमार कभी तानो से भरी जिंदगी अकेले ही गुजार लेता है
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के माता-पिता के जीवन को अक्सर बहुत प्रभावित करता है कि अपने बच्चे की सामाजिक लड़ाई के लिए वो खुद कोई ठोस कदम उठाते हैं ताकि आने वाले समय में किसी ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के माता-पिता को वह दुःख परेशानियों के दिन ना देखना पड़े जो उन्होंने अपने जीवन मे सामना किया है
आसान नही होता है ऑटिस्टिक बच्चों कि माँ के लिए यह समझ पाना की ऑटिज्म बच्चे क्या खाना और क्या पीना हैं और कौन सा कपड़े पहना पंसद हैं बहुत धैर्य संयम वाला दिल होता है तभी तो ऑटिज्म बच्चों को सम्हाल पाती है
मैं तुम्हारा स्वागत करती हूँ मेरे बच्चे भले ही तुम ऑटिज्म हो लेकिन तुम मेरा सारा संसार हों तुम्हारे प्रति मेरा प्यार कभी कम नहीं होगा मै हर मुश्किल घड़ी में तुम्हारे साथ रहूँगी
यह ऑटिज्म बच्चे हैं कोई मानसिक बीमारी नही है इन ऑटिज्म बच्चों से जीवन जीने की कला सीखे क्योंकि यह बच्चे भले ही समान्य जीवन नही जी सकते हैं लेकिन प्राकृतिक का बहुत बड़ा रहस्य को साथ ले कर जन्म लेते हैं
जब एक ऑटिज्म बच्चा अपने जिंदगी सफलता हासिल करता है एक सामान्य जीवन जीने के लिए तो वह समय सच में माता-पिता की लिये हर्षोल्लास का होता है वो शब्दो मे नही बता सकते कि वह पल माता-पिता की लिए कितना खुशी का दिन है