Mis MPC   (Mis MPC)
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Joined 2 April 2019


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17 APR AT 14:45

सुनो मुझे तुम कभी आवाज न देना
मुड़के देखना नहीं नज़रंदाज़ कर देना
मैं भी ओढ़ लूँगी एक अजनबी चेहरा
खताएं मेरी सारी तुम माफ़ कर देना

(शेष अनुशीर्षक में...)

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20 NOV 2023 AT 16:29

और दिवाली के गुजर जाने के बाद
फैल गया अंधेरा मेरे दिलो-दिमाग में

मायूसी की,
खामोशी की
हाथों से रेत की तरह फिसलते
वक्त की सरगोशी की

फिर भी
बहुत से हौसले बटोरकर
ये सोचने की कोशिश करती हूँ,
बची-खुची उम्मीदों को टटोलकर

कि एक दिन
चीर कर सीना
जगमगाएगा
अंधकार में जलता दिया

और मुझे विश्वास दिलाएगा
कि अच्छा सोचो तो अच्छा ही होता है

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19 NOV 2023 AT 13:54

वो कहता है मुझसे इतना प्यार न कर
उम्मीदों को जाया मुझपे ऐ यार न कर

कि हवा का झोंका हूं मैं गुजर जाऊंगा
मेरी फितरत पर ऐ दोस्त ऐतबार न कर

तेरे किस्से में मेरा हिस्सा इतना ही था
अलविदा कहने दे मुझे इनकार न कर

कट जाएंगे ये दिन भी आहिस्ते आहिस्ते
तू खुद को ऐसे मायूस बार बार न कर

कि एक नया सूरज तेरे इंतज़ार में होगा
ज़िंदगी रात की तनहाई में बेज़ार न कर

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24 JUN 2023 AT 10:20

खोकर भी तुझे खो देने का डर क्यूं है
तुझसे इतनी मोहब्बत जाने जिगर क्यूं है

घूम फिर कर ये तुझपे ही आकर ठहरते हैं
बता तू मेरे हर ख्यालातों का घर क्यूं है

पूजा है हर घड़ी जिसे सजदे में झुककर
निकला वो खुदा इतना पत्थर क्यूं है

उठते हैं हर रोज जिस उजाले की आस में
मेरी आंखों से ओझल वो सहर क्यूं है

एक टीस बाकि रह गयी है कहीं न कहीं
दर्दे दिल पर हर दवा बेअसर क्यूं है

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17 JUN 2023 AT 13:52

जब से मैंने खुद को बदल दिया है,
वो मुश्किल वक्त संभल गया है।

दरकिनार कर दीं ख्वाहिशें सारी,
चुभतीं थीं जो बनकर कटारी।
ख्वाब जो सारे ऊँचे उड़के,
मुस्काते थे तुमसे जुड़के।
एक एक करके कुचल दिया है,
जब से मैंने खुद को बदल दिया है।

यादों का क्या ठहरे बंजारे,
उनकी खातिर बंद कर दिए द्वारे।
सुखा दिए सब आँख के झरने,
सीख गयी हूँ खुलकर हंसने।
मेरे ग़म का वो पर्वत पिघल गया है,
जब से मैंने खुद को बदल दिया है।

अपने लिए बुनके नया किरदार,
पत्थर सी मजबूत न माने हार।
ज़िंदगी से ज़िंदगी चुनकर,
जो देखे न अब पीछे मुड़कर।
दिल एक नये सफ़र पर निकल गया है,
जब से मैंने खुद को बदल दिया है।

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9 MAR 2023 AT 19:12

तुझे एक बार तो जरूर देखना है मुझे
हां मेरे जख्मों को फिर से कुरेदना है मुझे

बिखरे हो हर जगह मेरी दुनिया में तुम
पर खुद को तेरी दुनिया से समेटना है मुझे

इसलिए कि एक दिन मैं तसल्ली से मर सकूं
दिल की हर बात तुझ तक भेजना है मुझे

दर्द कहता है मुझसे,यूँ नज़र अंदाज़ न कर
जब तक ज़िंदगी है तब तक तुम्हें झेलना है मुझे

चलो ये भी मंजूर है कि सबकुछ खत्म हो गया
मगर तुम्हारे लिए,मेरे लिए तो उन्हें सहेजना है मुझे

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14 FEB 2023 AT 23:57

एक शख्स है ऐसा, जो मुझे चुटकियों में ढहा देता‌ है
हम मर मर के जीते हैं वो मेरे हाल पर मुस्कुरा देता है

सोचिए क्या थे हम पहले, क्या से क्या हो गये हैं
वो जब चाहे मुझपे उसके होने की मुहर लगा देता है

जो कुछ था उसे भूलना,भूलकर आगे बढ़ जाना
मेरे इन मासूम मंसूबों पर वो पानी फिरा देता है

सोचा था किसी मोड़ पर, न उससे अब मिलना होगा
मगर सामने आ वो मेरे दिल की धड़कन बढ़ा देता है

कोई तो आतिश है,जो अब तक राख में बाकि है
बुझाए ना बुझता है इश्क़ रह रह के सुलगा देता है

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7 JAN 2023 AT 11:03

ज़रा बताना क्या ग़लत करती हूँ मैं
अगर तुम पर आज भी मरती हूँ मैं

तुम्हें क्या मालूम तुम तो करीब न थे
किन किन हालातों से गुजरती हूँ मैं

कुछ यादें दर्ज हैं मेरी डायरी में आज भी
जहाँ अक्सर तुमसे मिलती रहती हूँ मैं

जब अपनी परछाई देखी मैंने आईने में
न जाने क्यूं कुछ-कुछ तुम सी लगती हूं मैं

कमबख्त इश्क़ भी कैसा एकतरफा रस्ता है
चाहकर भी वापस नहीं लौट सकती हूँ मैं

दिल की आवाज दिल तक जाएगी एकदिन
इसी ख्वाहिश में तुम्हे हर दिन लिखती हूँ मैं

चाहे जहाँ भी रहो मेरे लिए अज़ीज़ ही रहोगे तुम
खुद से और खुदा से ये वादा करती हूँ मैं

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5 JAN 2023 AT 18:23

इंतजार न होते हुए भी इंतजार करना
बहुत मुश्किल है यारों ये 'प्यार करना'

ख्यालों को समझाना कि बेख्याल रहो
क्या इस तरह रातों को चीत्कार करना

हर चेहरे में हरदम एक चेहरे को ढूंढना
नजरों के इस वहम पर ऐतबार करना

चोट देने वाले से मरहम न लगाया गया
फ़िज़ूल था हमारा खुद को बीमार करना

दर्द जुदाई का सहना ही है अब हमको
क्या कहें खुदा से कि चमत्कार करना

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1 JAN 2023 AT 18:45

सुबह भी वही है
शाम भी वही
हवा भी वही है
आठो याम भी वही
ऐ खुदा!
कुछ तो नया कर
के मुझे यकीं तो हो
कि 'नया साल' है ये

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