पता नही वो कैसी कैसी स्थिथियो से लड़ा होगा
टूटा था कब से वो, बुरे हालातो मैं फिर भी खड़ा होगा
यम था सामने उसके ,उसको पाकर पाओ भी पड़ा होगा
बाबूजी का सपना मेरा बेटा बड़ा होगा
मनुष्य गलतियों का पुतला, कितनी बातो पर जड़ा होगा
दिल ना माना होगा, कैसे ना कैसे उसने खुदके लिए फंदा गड़ा होगा
ठीक हो जाएगा सब इस बात पर भी अड़ा होगा
दिल दिमाग पर शैतान का रगड़ा होगा
पाओ भी ना मंजूरी मै जमीन से गड़ा होगा
मजबूरियों का हाथ थाम के दिल किया कड़ा होगा
मां की लिरियो से आंखो का तालाब भरा होगा
उसे पता ना था एक दिन उसका जख्म हरा होगा
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