Mere_ Ahsaas🖋   (Musharrat)
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Joined 28 May 2020


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Joined 28 May 2020
29 JAN 2021 AT 1:01

न होती जो ज़िंदगी में "शब" मेरे मौला
तो "सुबह" का "क़द्रदान" कौन होता

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11 JAN 2022 AT 20:11

यूं तो निभा जाएं हर रिश्ता दिल से मगर..
ज़रा सी चूक ऐतबार की, ज़ख़्म नया दे जाती है

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9 JAN 2022 AT 23:50

गिर-गिर के संभले हैं आज भी बमुश्किल हम....
कज-अक़्ल बेताब हैं ताना-ए-नाकामी के लिए

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25 DEC 2021 AT 17:18

Beshaq ❤️

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10 NOV 2021 AT 10:45

हुई पेश मिसालें जो फ़रेब की, तसव्वुर उनका आया
ख़ुदग़र्ज़ी, ख़ुदमुख़्तारी में उन्हें सबसे आला जो पाया

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2 NOV 2021 AT 14:55



टूटने लगे हैं ख़्वाब आहिस्ता-आहिस्ता
हाय! बेकसी का आलम हुआ ला-जवाल

_musharrat

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30 OCT 2021 AT 22:03

हो जाए जो, हर इक से मुतास्सिर...
वो शख़्स फिर क़ाबिल-ए-एतमाद कहां

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26 OCT 2021 AT 12:53

चंद सांसों का रिश्ता है तुझसे ऐ ज़िंदगी
सिवाए इसके, और कुछ भी तो नहीं...

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15 OCT 2021 AT 20:55

अगर तुम्हें यक़ीन हो जाये के तुम्हारा रिज़्क़ ☝️ اللّٰه के पास है तो फ़िर तुम,

रिज़्क़ की नहीं ☝️ اللّٰه की तलाश करोगे जिसके पास तुम्हारा रिज़्क़ है

अज्ञात

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22 AUG 2021 AT 10:35

"चलें ग़र राहे-मुस्तक़ीम पे तू ऐ मोमिन
बा-ख़ुदा तुझे सारा जहां दस्तयाब हो जाए"

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