MD AADIL   (AA....Dil ✍️)
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Joined 22 January 2022


Joined 22 January 2022
19 JUN 2023 AT 21:48

तालाब का पानी भी शांत नही रहता....
बस कुछ हवा चाहिए उसे दीवाना बनाने के लिए।

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7 JUN 2023 AT 20:09

रास्ते पर चल कर बस मंज़िल पे पहुंच जाओ तो क्या हि किया हे।

और खुद को खर्च हि नहीं किया,
तो ज़िंदगी जिया हि क्या हे

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5 JUN 2023 AT 0:05

लिखना तो असन था पर मैं, लिख नहीं पाया,
उस अधूरी गज़ल को पुरा नही कर पाया।

लिखते हुए रुक् गई कलम काई बार
क्युकी में इस ग़ज़ल को गलत नही लिख पाया।

लिखने को तो लिख देता उस अधूरी प्यास को।
लेकिन में उसका एक घूट भी नही पी पाया।

वो ग़ज़ल सायद कोई और पुरी कर रहा होगा
इसीलिए उसकी तर्ज़ नही लिख पाया।

अब लिखू कोई और नस्म् या कलम तोड़ दु।
लेकिन अब तक् नई कलम मे उठा नही पाया....।


वो कहानी हि ऐसी थी जिसका कोई अंत नहीं।

इसीलिए मैँ अपने जज़्बातो को ज़िंदा जला आया।

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20 JAN 2023 AT 22:58

मैने नशे मे पढ़ ली नमाज़
गुनाह तो कर लिया हे।

हो मुकरू हि सही,
लेकिन खुदा को सजदा तो कर लिया हे।

अब अंजाम इसका मुझे भी पता नही.....।
हश्र के मैदान की तैयारी तो कर लिया हे।

अब बताएंगे वो, जो होश मे हे, खुदा क्या हे..?
मैने मदहोश हि सही , उसको महसूस कर लिया हे।

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11 JAN 2023 AT 22:04

बहुत गहराई मे उतरना पढ़ता हे।
ज़िंदगी को डूब से समझना पढ़ता हे।

सोच सोच कर, "समझ" ख़त्म हो जाती हे।
कहानी कुछ इस तरहा लिखना पढ़ता हे।

ख़त्म हो जाते हे जब शब्दकोष।
तब निशब्द होकर लिखना पढ़ता हे।

जब नही होते शब्द तब एहसास लिखना पढ़ता हे ।
जब एहसास नही होते ,तब फर्ज़ लिखना पढ़ता हे।

इतना आसान नही होता लेखक होना ....
कभी अपनी कहानी, तो कभी किसी और की लिखना पढ़ता हे।...

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31 AUG 2022 AT 0:46

तेरी परवरिसो ने संभाला, और तेरी हि तपस्या ने ये परिणाम कर दिया ।

मुझ पर उठने वाले हर सवालों का जवाब कर दिया।

यक़ीनन तेरी आवाज़ बदलो से ऊपर उस खुदा तक जाती हे।

आए " माँ " तेरी दुआओ ने मुझे कामियाब कर दिया।

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26 AUG 2022 AT 21:38

जब मर्ज़ हि मरहम बन जाए तो क्या कहिए।

जब इश्क़ हि इंतज़ार बन जाए तो क्या कहिए।

अब इन्तज़ार मे तो नफा नुकसान की कीमत नही होती।

ये इतज़ार हि हमसफ़र बन जाए तो क्या कहिए।

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20 JUL 2022 AT 21:50

मशरूफ हे ज़िंदगी की कस-म-कस में सब यहाँ।
हाल -ए- दिल अब सुनाए किसको

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21 JUN 2022 AT 19:25

वो चली गई ,जिसको जाना नही था,
वो चली गई, जिसको जाना नही था।

वरना मैं इतना दीवाना नही था।

अब महफ़िलो में बैठ कर भी अकेला रहता हूं।
अब महफ़िलो में बैठ कर भी अकेला रहता हूं।

पहले मैं इतना वीराना नही था

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20 JUN 2022 AT 21:41

रुला कर भी वो सख्स तुझे, हस्ता ही जाएगा।

भला उसको क्या गरज़ तेरी ....मोहबत की

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