तलवार और छूरी का अब भला काम कैसा,लफ़्ज़ों के जाल से, हर रिश्ता तार तार है.. -
तलवार और छूरी का अब भला काम कैसा,लफ़्ज़ों के जाल से, हर रिश्ता तार तार है..
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आपके रूह में उतरना हैख़्वाहिश-ए-जिस्म को फ़ना करकेजीते जी गर उतर न पाएँ तो जिस्म से जान को रिहा करकेइश्क़ की इक मिसाल देंगे हमइश्क़ से इश्तिहा जुदा करकेख़ुद पे ले लेंगे तूफाँ जो रख देआपकी आबरू बुझा करकेचाँद को चूर चूर करना हैआपके अक्स को दिखा करकेआपकी चश्म-ए-नम हुई जो 'मयूरी'रब को आ जाएँगे सुना करके -
आपके रूह में उतरना हैख़्वाहिश-ए-जिस्म को फ़ना करकेजीते जी गर उतर न पाएँ तो जिस्म से जान को रिहा करकेइश्क़ की इक मिसाल देंगे हमइश्क़ से इश्तिहा जुदा करकेख़ुद पे ले लेंगे तूफाँ जो रख देआपकी आबरू बुझा करकेचाँद को चूर चूर करना हैआपके अक्स को दिखा करकेआपकी चश्म-ए-नम हुई जो 'मयूरी'रब को आ जाएँगे सुना करके
जी हुज़ूरी कर ली कितनी अब मुकरकर देखो,ग़ैर हो जाएँगे अपने सच तो कहकर देखो,इतना तनहा हो गया हूँ खलवते ही है फ़क़त,मेरी मंज़िल की सड़क से ख़ुद गुज़रकर देखो,आसमां तनहा है कितना इल्म ये हो जाएगा,इन अना के बादलों से अब उतरकर देखो,मोहब्बत की रहगुज़र में कोई है जो पीछे रह गया,राह मैंने भी बदल दी ना पलटकर देखो। -
जी हुज़ूरी कर ली कितनी अब मुकरकर देखो,ग़ैर हो जाएँगे अपने सच तो कहकर देखो,इतना तनहा हो गया हूँ खलवते ही है फ़क़त,मेरी मंज़िल की सड़क से ख़ुद गुज़रकर देखो,आसमां तनहा है कितना इल्म ये हो जाएगा,इन अना के बादलों से अब उतरकर देखो,मोहब्बत की रहगुज़र में कोई है जो पीछे रह गया,राह मैंने भी बदल दी ना पलटकर देखो।
She is dazed between her headache and heartache... -
She is dazed between her headache and heartache...
Aao dekhe khidki se khule aasmaan koJata hai jo rasta unche jahaan ko -
Aao dekhe khidki se khule aasmaan koJata hai jo rasta unche jahaan ko
We can't change situationBut We can change our habits -
We can't change situationBut We can change our habits
अधूरा रह जाए तो रुसवा ना करना इश्क़ को,खिड़कियों में पूरा आसमान कहाँ सिमटता है! -
अधूरा रह जाए तो रुसवा ना करना इश्क़ को,खिड़कियों में पूरा आसमान कहाँ सिमटता है!
दर पर तेरे अना की, मैं तो झुक जाऊँगापरफैसले वक़्त करेगा, तो गवाही कौन देगा!ज़ख्मों को किनारे कर, मैं फ़िर डूब जाऊँगा,पर,मोहब्बत ना हुई, तो तबाही कौन सहेगा! -
दर पर तेरे अना की, मैं तो झुक जाऊँगापरफैसले वक़्त करेगा, तो गवाही कौन देगा!ज़ख्मों को किनारे कर, मैं फ़िर डूब जाऊँगा,पर,मोहब्बत ना हुई, तो तबाही कौन सहेगा!
मैं खबरों में कभी रहती नहीं हूँमैं लिखती हूँ मगर दिखती नहीं हूँमोहब्बत है मुझे तन्हाईयों सेमैं महफ़िल में कदम रखती नहीं हूँजहां का ग़म है मेरी शायरी मेंपर अपना ग़म दिखाती नहीं हूँनहीं है मेरा कोई, और ना मैं किसी की,किसी की आंखों का तारा नहीं हूँदिए है ज़ख्म मुझको ज़िंदगी नेमैं घायल ज़रूर हुँ मगर टूटी नहीं हूँ -
मैं खबरों में कभी रहती नहीं हूँमैं लिखती हूँ मगर दिखती नहीं हूँमोहब्बत है मुझे तन्हाईयों सेमैं महफ़िल में कदम रखती नहीं हूँजहां का ग़म है मेरी शायरी मेंपर अपना ग़म दिखाती नहीं हूँनहीं है मेरा कोई, और ना मैं किसी की,किसी की आंखों का तारा नहीं हूँदिए है ज़ख्म मुझको ज़िंदगी नेमैं घायल ज़रूर हुँ मगर टूटी नहीं हूँ
The human heart was wired to love only,Yet we have become so capable of hate that we need to be reminded what love is! -
The human heart was wired to love only,Yet we have become so capable of hate that we need to be reminded what love is!