शरद ऋतु में सावन मनाया है,
शक्ति की आराधना में शिव को पाया है।
काशी के पुष्प में पानी सजाया है,
शक्ति की आराधना में शिव को पाया है।
रक्षा सूत में अपराजिता पिरो कर,
मीठी ठंड में धूप डुबो कर,
मीरा बन वैराग्य मनाया है,
शिव में शक्ति पाया है,
शरद में सावन मनाया है।
बेल पत्र ले ध्यान लगा कर,
बनारस किनारे कैलाश बसाया है।
सब रंगों को श्वेत बना कर,
पारिजात से अव्यक्त रिझाया है,
शक्ति में शिव पाया है,
शरद में सावन मनाया है।
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