Mamta Sharma  
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Joined 29 August 2016


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5 SEP 2016 AT 0:22

शब्दों से खेलो, जज्बातों से नहीं
लोग तुम्हें होठों से लगाकर रखेंगे

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13 MAR 2020 AT 16:01

लकड़ी का दरवाज़ा
तेरी आने की राह तक रहा है
खिड़कियां नजर गड़ाए बैठी है
पर्दों ने कितने दिनों से करवट नहीं ली है
कमरों में बंद पड़ी हमारी तस्वीरें
अब मुस्कुराना छोड़ चुकी है....
क्या एक बार लौट आओगे
फिर से गुलाबो में रंग भरने
उसकी टहनियों से कांटो को निकालने
आंगन में लगी तुलसी को सीचने
बेजान सी तस्वीरों को
मुस्कुराने के नए कायदे सीखाने
बालकनी के गेट पर लगे, ड्रीम कैचर में
कुछ नए सपनों को जोड़ने
क्या एक बार लौट आओगे
एक लड़की को फिर से दुल्हन सी सजाने
उसकी कलाइयों में कुछ चूड़ियां पहनाने
माथे पे उसके सुर्ख लाल रंग सजाने
एक बार फिर उसकी
हथेलियों में मेहंदी रचाने
क्या एक बार लौट आओगे
किसी की मुस्कान हाथो में लिए
सुकूून को बाहों में जकड़े हुए
श्रृंगार के सारे मायने
अपनी वर्दी कि जेब में समेटे हुए
क्या एक बार लौट आओगे
सूने मकान को फिर से घर बनाने के लिए
एक सुहागन को उसका वजूद लौटाने के लिए

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13 MAR 2020 AT 15:44

लकड़ी का दरवाज़ा
तेरे आने की राह तक रहा है
खिड़कियां नजर गड़ाए बैठी है
पर्दों ने कितने दिनों से करवट नहीं ली है
कमरों में बंद पड़ी हमारी तस्वीरें
अब मुस्कुराना छोड़ चुकी है....
क्या एक बार लौट आओगे
फिर से गुलाबो में रंग भरने
उसकी टहनियों से कांटो को निकालने
आंगन में लगी तुलसी को सीचने
बेजान सी तस्वीरों को
मुस्कुराने के नए कायदे सीखाने
बालकनी के गेट पर लगे, ड्रीम कैचर में
कुछ नए सपनों को जोड़ने
क्या एक बार लौट आओगे
एक लड़की को फिर से दुल्हन सी सजाने
कुछ उसकी कलाइयां में चूड़ियां पहनाने
माथे पे उसके सुर्ख लाल रंग सजाने
एक बार फिर उसकी हथेलियों में
मेहंदी रचाने
क्या एक बार लौट आओगे
किसी की मुस्कान हाथो में लिए
सुकूून को बाहों में जकड़े हुए
श्रृंगार के सारे मायने
अपनी वर्दी कि जेब में समेटे हुए
क्या एक बार लौट आओगे
सूने मकान को फिर से घर बनाने के लिए
एक सुहागन को उसका वजूद लौटाने के लिए

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4 MAY 2019 AT 16:33

सब मिट्टी हो जाता है
इंसान कंकड़ है
कंकड़ में मिल जाता है

कुछ दूर यूँ भटकता
एक शेर
सुराही से टकराता है
तलब है उसे पानी की
अकड़ में, लात दे गिराता है
मिल मिट्टी में पानी
सब मिट्टी हो जाता है

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11 JUN 2018 AT 15:01

Shit


Make it fertiliser...!!!

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3 FEB 2018 AT 23:45

Nostalgia is a dirty liar..who says that things would be much better than this...!!!

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1 DEC 2017 AT 23:47

उसकी एक सॉरी ,
आंसुओं में लिपटी हुई
मेरे दिल को जोड़ जाती है,,,
पर उस रूह का क्या करूँ ??
जो हर दफा बिखर जाती है

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1 DEC 2017 AT 23:44

Maturity survives the moment when inner child punished with death sentence

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1 DEC 2017 AT 23:35

माँ
मेरे माथे पर,
बालों की
लटो से
चाँद बनाया करती थी,
और अब "माँ" तारा हो गयी
अब ईद नही आती...
तारा और चाँद
साथ
जो नही होते

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8 OCT 2017 AT 22:10

आज
हर उजड़ी बस्ती में,
चाँद आया है....
काश,
"वो"
भी
मेरी गली से गुजरा होता..!!!

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