लक्ष्मी कह कर क्यों एक ही रूप में बंध जाएं हम ,,क्या मालूम किसी घर के ब्रह्म ,विष्णु, महेश बन जाएं हम। -
लक्ष्मी कह कर क्यों एक ही रूप में बंध जाएं हम ,,क्या मालूम किसी घर के ब्रह्म ,विष्णु, महेश बन जाएं हम।
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आदमीमरने के बादकुछ नहीं सोचता। आदमीमरने के बादकुछ नहीं बोलता।कुछ नहीं सोचनेऔर कुछ नहीं बोलने परआदमीमर जाता है। -
आदमीमरने के बादकुछ नहीं सोचता। आदमीमरने के बादकुछ नहीं बोलता।कुछ नहीं सोचनेऔर कुछ नहीं बोलने परआदमीमर जाता है।
फिर आखिरी बार भी नही मिला मुझसेजो मिलने वाला था उम्र भर के लिए..!! -
फिर आखिरी बार भी नही मिला मुझसेजो मिलने वाला था उम्र भर के लिए..!!
ये जो हंसते हुऐ चेहरे नज़र आते हैयार! ये हंसते हुऐ चेहरे__ अगर रो दे तो?हम लोग" जिन के पास फकत मोहब्बत हैंयार! हम लोग, मोहब्बत भी__ अगर खो दे तो ? -
ये जो हंसते हुऐ चेहरे नज़र आते हैयार! ये हंसते हुऐ चेहरे__ अगर रो दे तो?हम लोग" जिन के पास फकत मोहब्बत हैंयार! हम लोग, मोहब्बत भी__ अगर खो दे तो ?
इस रंग बदलती दुनिया कामैं भी तो हिस्सा हूं,इस भागती हुई भीड़ का,मैं ही हूं भूत, वर्तमान और भविष्यध्यान से देख लो, वक्त हूं तुम सभी का। -
इस रंग बदलती दुनिया कामैं भी तो हिस्सा हूं,इस भागती हुई भीड़ का,मैं ही हूं भूत, वर्तमान और भविष्यध्यान से देख लो, वक्त हूं तुम सभी का।
शोर करती हैं जब भी, खामोशी मुझमेंघबराकर भीड़ में जा बैठती हूं।। -
शोर करती हैं जब भी, खामोशी मुझमेंघबराकर भीड़ में जा बैठती हूं।।
मैं उसकी हूँ य़े समझाने मे मैने कितना वक़्त गवां दिया..और वो मेरा कभी था ही नहीं,,उसने मुझे कुछ मिनटों मे समझा दिया..!! -
मैं उसकी हूँ य़े समझाने मे मैने कितना वक़्त गवां दिया..और वो मेरा कभी था ही नहीं,,उसने मुझे कुछ मिनटों मे समझा दिया..!!
अपने अर्थबिन अर्थ हर शब्द है व्यर्थ। -
अपने अर्थबिन अर्थ हर शब्द है व्यर्थ।
"वो तेरे मेरे इश्क का एक, शायराना सा दौर था,वो मैं भी कोई और थी, वो तू भी कोई और ही था। -
"वो तेरे मेरे इश्क का एक, शायराना सा दौर था,वो मैं भी कोई और थी, वो तू भी कोई और ही था।