Mahesh Shukla   (Mahesh Shukla)
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I am a law Student. I am here to express and share my feelings,thoughts and poems
Joined 26 October 2019


I am a law Student. I am here to express and share my feelings,thoughts and poems
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3 JUN 2022 AT 8:46

और भला क्या आस करें इन
विदुरों की लाचारी से
क्या राजधर्म की आस रखें हम
इस सिस्टम सरकारी से

भारत मां का शीश किया है
चोटिल कुछ गद्दारों ने
इनको जिंदा ही रखा है
आखिर क्यों सरकारों ने

बहुत हुआ अब घात नहीं हो
कश्मीरी बाशिंदों से
उठो और कश्मीर बचाओ
आतंकी कारिंदो से
✍️ ©️महेश शुक्ला

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18 MAR 2022 AT 7:35

नतीजे देख राहुल जी देखो हुए पड़े बेचैन
हंसते चेहरे के पीछे देखो भीग रहे हैं नैन
जोगीरा सरारररररर

बुआ गई बबुआ भी गए और गए युवराज
कमल खिला यूपी में देखो आया योगीराज
जोगीरा सरारररररर

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18 MAR 2022 AT 7:07

जनता ने बहुमत देकर के फिर पहनाया ताज
यूपी में फिर से चुन के देखो आ गए हैं महराज
जोगीरा सरारररररर

वहां पंजाब में करतब करते जीत गई है आप
झाडू ने कमल और हाँथ का किया सूपड़ा साफ
जोगीरा सरारररररर

उत्तराखंड में बीजेपी ने बचा लिया है राज
एक बार फिर से बहुमत लेके किया नया आगाज़
जोगीरा सरारररररर
✍️ - महेश शुक्ला

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17 MAR 2022 AT 7:36

होलिका पर्व शुभकामना:
कदर्थितस्याऽपि हि धैर्यवृत्तेन शक्यते धैर्यगुणः प्रमाष्र्टुम्।
अधोमुखस्यापि कृतस्य वह्नेरधः शिखा याति कदाचिदेव।।
जिस तरह आग का मुंह नीचे करने पर भी उसकी लपट कभी नीचे नहीं जाती,
उसी तरह धैर्यवान व्यक्ति का साहस कठिन परिस्थितियों से कभी नही टूटता।
आप सभी को होलिका दहन की अशेष शुभकामनाएं।

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9 FEB 2022 AT 9:52

बस तू ही तो रहती है
हर पल मेरे जेहन में,
इक तस्वीर लगा रखी है
दिल के दैर-ओ-हरम में

दैर-ओ-हरम :
मंदिर और मस्जिद

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3 FEB 2022 AT 19:52

चाहे गर्दन हो धार में तलवार की
है नामुमकिन चुप्पी मेरे अश'आर की

ये भी सच है कि बिक जाती हैं कुछ कलमें
हम भी पढ़ते कुछ वैसी खबरें अखबार की

पर हम ठहरे सच को सच कहने वाले
कैसे कर सकते कदमबोसी सरकार की

खुद ही तोड़ी पतवार जो अपनी कश्ती की
कहां कमी है फिर बोलो मझधार की

जबसे छोड़ा हैं गांव अबकी औलादों ने
फीकी हैं 'महेश' सब रौनकें त्योहार की

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3 FEB 2022 AT 19:32






भले इक टूटी ही सही मगर आस में हम हैं
कुछ अपनी कुछ अपनों की तलाश में हम हैं

देखते हैं कब तलक ठगती है ये आवारगी
खुली आंखों के सपनों की तलाश में हम हैं

जाने कब कहां रुके ये चाहतों का सिलसिला
कुछ अलहदा ठिकानों की तलाश में हम हैं

झूठ जो न बोल पाए बातों में चाशनी घोलकर
फकत सच्ची जबानों की तलाश में हम हैं

हुआ है जख्मी ये दिल बहुत नफरतों के शोर से
'महेश' मुहब्बत के तरानों की तलाश में हम हैं
✍️ - महेश शुक्ला








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30 JAN 2022 AT 18:30


है आंखो में तो रंजीदगी
औ ज़ुबान पर तल्खी
मगर कुछ और ही कहती
तेरे रुखसार की सुरखी

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11 APR 2020 AT 14:48

When i successfully return from market without getting Lathi from Police,
My neighbours to me...

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4 NOV 2021 AT 7:38

लक्ष्मी बढ़े कुबेर सी और कीर्ति यथा सुरेश।
प्रार्थना विश्व कल्याण की करता सदा महेश।।

इसी भाव के साथ आपको व आपके स्वजनों को दीपावली के स्नेहिल व पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
यह पर्व आपके जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य, यशस्व व कीर्तिस्व का वाहक बने, यही प्रभु से प्रार्थना है।
🙏🏼🙏🏼शुभ दीपावली🙏🏼🙏🏼

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