madhumita   (Madhu)
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Joined 22 September 2020


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Joined 22 September 2020
20 DEC 2021 AT 6:59

Heat transfer
His hand to my hand

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27 NOV 2021 AT 8:31

यूँ ढूँढू खुद को खुद से क्या यही हूँ मैं
खुद से पूछू ये बात बार-बार क्या सही हूँ मैं,
क्या कमी है? सब तो यहीं है,
फिर क्यो दुखी हूँ मैं,
मुझे दुनिया से क्या? मेरी दूनिया तो खुद ही हूँ मैं,
लड़ना भी है तो खुद से लडू,
क्योकिं खुद को हराती और जिताती खुद ही हूँ मैं
ये अक्सर पूछती हूँ खुद से क्या सही हूँ मैं?
मेरा फैसला भी मेरा,मेरा इन्तिहाम भी मेरा,
अब क्यो देरी करू मैं?
फिर भी खुद से पूछूंगी क्या सही हूँ मैं?
मुझे आकना है खुद को मुझे मापना है खुद को,
खुद को अपने लक्ष्य से फांदना है खुद को,
फिर जीत के दिखाना है खुद को
और सब से कहना है "यही हूँ मैं",
फिर भी अंत में खुद से पूछ ही लूंगी,
क्या सही हूँ मैं?...

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21 NOV 2021 AT 6:49

शर्द के मौसम में जब बदन कप-कपाये,
तब उसमे ओढ़ा जाए वो रेशमी सॉल हो तुम,

रुठे बच्चे के चहरे पर
पल भर में आ जाने वाली मुसकान हो तुम,

जिसका हाथ थामे उर्म भर चला जाए,
वो खूबसूरत ख्याल हो तुम।

मन में कोतोहल सा मचा दे,
वो सवाल हो तुम,

जिन अंधरी गलियों से मैं भटकू,
उन पर जलने वाला मसाल हो तुम,

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16 NOV 2021 AT 10:12

विश्वास और प्रेम में एक समानता है कि
ये दोनों ही जबरदस्ती पैदा नही की जा सकती,

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12 NOV 2021 AT 6:50

लिख लिख कर
ऐसा फसाना बनाऊगी,
नफरत करते है जो
उनको भी दीवाना बनाऊगी,

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11 NOV 2021 AT 17:49

अगर ये है नहीं तो फिर जाने प्यार क्या है?
मेरी जीत है तु किसे परवाह हार क्या है?

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10 NOV 2021 AT 8:40

When you marry your best friend-

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9 NOV 2021 AT 12:20

क्यो कुछ कहना जरुरी है तुमसे,
क्यो कुछ कह कर ही कह पाऊँगी तुमसे,
क्यो जरुरत है कहने की जो कहना है तुमसे,
महसूस तो तुमने भी किया होगा ना,
महसूस तो तुमने भी किया होगा वह प्यारा सा अहसास जो तुम्हे देख कर होता है,
महसूस तो तुम भी करते होगे ना,
बहुत अच्छा लगता है तुम्हारा पढ़ाई के बहाने अपने घर से निकल कर रात भर मेरे घर के बहार खड़े रहना,
मैं जानती हूँ कि हम दोनो ही उन छोटे-छोटे अहसासों को पता नही कहाँ भूलने लगे है,जीवन की आपाधापी में उन खूशियो को रख कर कही छोड़ आये है,जानती हूँ जिन्दगीं की बदलती तस्वीर ने तुम्हे भी बदल दिया है,जिम्मेदारियों ने तुम्हें भी थोड़ा अपने जैसा कर दिया है,
चलो एक बार फिर उन एहसासों को खोज लाते है,
रख कर भूल गये है जहाँ वही से बटोर लाते है,
चलो जीते है फिर से कुछ पल साथ,
चलो फिर से वह प्यार दोहराते है।

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9 NOV 2021 AT 10:24

की औरत कमजोर नही,
कमजोर बनाया हमने है,
सति प्रथा से लेकर दहेज बनाया हमने है,
समाज बनाया हमने है,
रिवाज़ बनाया हमने है,
औरत को दबी हुई आवज बनाया हमने है।

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8 NOV 2021 AT 17:09

Beshak tum cartoon nhi ho..
Par tumhe dekh kar aksar chehre pe hashi aa jati hai😁..।

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