माँ तेरी मुस्कान मुझे हिम्मत दिलाती थी,
मैं जैसा भी हूँ,एक तुंही थी जो गले लगाती थी
गिरता मैं था,चोट तुझे लगती थी,
रोता मैं था, आँसू माँ बहाती थी।
मुझे जो भाता, माँ तु वो ही बनाती थी,
मुझे खिलाने की खातिर तु भूखी सो जाती थी।
जंगल से लकड़ियाँ कांट कर, तू चूल्हा जलाती थी,
बीमार थी माँ फ़िर भी सब की खातिर खाना पकाती थी।
तेरे मुस्कान से घर का हर कोना खिलखिलाता था,
तेरे पसीने से तर आँचल तले, मेरा बचपन सकुन पाता था।
मेरे दुःख में, मेरे दर्द में, दुनिया मेरे साथ नहीं आयी,
एक तु ही थी माँ जो मेरे साथ रात भर रोयी।
तेरी जगह कोई नहीं ले पायेगा,
तुझे खोया हैं आज, ये तेरा बेटा किसे माँ कहेगा।
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