Madhubala Jain   (मधु)
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Joined 18 March 2020


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3 AUG 2023 AT 19:50

Vakt rehete Kadar kar lo apnonki
Na Todo rishte,sun k baate beganonki

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24 NOV 2021 AT 5:06

और बताओ क्या कर जाऊ
तुम् कहो तो हद से गुजर जाऊँ।
भुला दे मुझे, या मैं भूल जाऊ।
साथ चलु यां अधूरी राह से लौट जाऊ।
प्यार करू या फ़ना हो जाऊ,
नज़रे चुराउ या सजदे में सर झुकाऊँ,
बताओ, मैं क्या कर जाऊ।
जिउ तुम्हारे लिए या फ़िर मर जाऊ,
याद रखू या तुम्हें भूल जाऊ,
तुम् कहो तो
जिंदगी तुम्हारे नाम लिख जाऊ,

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19 OCT 2021 AT 10:20

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4 AUG 2021 AT 21:26

अपने गम को यू सबसे साँझा ना कर,
पी ले घूँट गमों के, कभी चुप भी रहा कर।

कोई नही आता हमारे आँसू पोंछने,
तु अपने गम खुद सहा कर।

दूसरों की गलतियां ना गिना, ना ऐब देख
तु अपने गिरेबाँ में भी झाँका कर।

झूठ बोलकर अपने गुनाहों पर पर्दा ना डाल,
किसी मासूम की खातिर सच भी बोला कर।

किसी के जाने से रुकती नही जिंदगी,
नदी की तरह तु बस आगे बहा कर।

आँसू ना बहा, ना फरियाद कर,
सी ले होठों को, कभी चुप भी रहा कर।

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2 AUG 2021 AT 23:46

Dear dost
रुलाने वाले बहुत हैं यहाँ, पर हँसाने वाला एक तू ही हैं,
गुस्सा तो सब करते हैं पर मनाने वाला तु ही हैं।
मेरे उदास होनेपर दिल तुम्हारा उदास होता हैं,
मुझे हँसाने की खातिर तु पागल भी बन जाता हैं।
बिन तेरे सारी दुनिया बेरुखी सी लगती हैं,
तेरेबिना जिंदगी बोज़िल बोझिल लगती हैं।
ना मिलते हैं रोज़, ना ही रोज़ बातें होती हैं
फिर भी देखो यारा कितनी यारी गहरी होती हैं।
जात पात, धर्म से परे रिश्ता कितना रूहानी हैं,
खून का नहीं पर दिल का ये नाता बहुत नूरानी हैं।
दुनिया कड़ी धूप हैं और तु छाता बरिशवाला








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20 JUL 2021 AT 16:33

माँ तेरी मुस्कान मुझे हिम्मत दिलाती थी,
मैं जैसा भी हूँ,एक तुंही थी जो गले लगाती थी
गिरता मैं था,चोट तुझे लगती थी,
रोता मैं था, आँसू माँ बहाती थी।
मुझे जो भाता, माँ तु वो ही बनाती थी,
मुझे खिलाने की खातिर तु भूखी सो जाती थी।
जंगल से लकड़ियाँ कांट कर, तू चूल्हा जलाती थी,
बीमार थी माँ फ़िर भी सब की खातिर खाना पकाती थी।
तेरे मुस्कान से घर का हर कोना खिलखिलाता था,
तेरे पसीने से तर आँचल तले, मेरा बचपन सकुन पाता था।
मेरे दुःख में, मेरे दर्द में, दुनिया मेरे साथ नहीं आयी,
एक तु ही थी माँ जो मेरे साथ रात भर रोयी।
तेरी जगह कोई नहीं ले पायेगा,
तुझे खोया हैं आज, ये तेरा बेटा किसे माँ कहेगा।

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19 JUL 2021 AT 13:25

घड़ी एक ख्वाब हैं,
जिस घड़ी की चाहत हैं वो नायाब हैं।
देखो मिल जाए तो उसे खोना नहीं,
जी लेना हर उस पल, हर उस घड़ी को,
तु इसकदर बेकद्र होना नहीँ

हर घड़ी जिंदगी का नया रूप हैं
कभी धूप हैं दोपहरी की, कभी शब की छाँव हैं
उजाले के गुरुर में अंधेरे से जी चुराना नहीं,
तु इसकदर बेकद्र होना नहीं,

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17 JUL 2021 AT 23:28

हर एक शहर में एक उदास कोना होता हैं
जहाँ होती हैं धूप, वही घनघोर अंधेरा होता हैं।
भीड़ होती हैं हर गली हर मोड , पर साथ कोई नहीं चलता,
सब की अपनी मंज़िल, सब का अपना रास्ता होता है।
शोर बहुत हैं पर कोई किसी की नहीं सुनता,
खामोश राहों पर, चीखता हुआ सन्नाटा होता है।
यहाँ इंसान कुछ नहीं, दोस्ती वफा कुछ नहीं,
हर किसी का अपना स्वार्थ, अपना फंडा होता हैं।
तुम चलो चार कदम तो पीछे खिंच लेती हैं दुनिया,
दो कदम भी साथ दे, ऐसा हम दर्द कहाँ होता हैं।
टहनीयाँ भी तूफान में साथ छोड़ देती हैं पत्तों का,
पेड़ मगर धरती से जुड़ा होता हैं।




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6 JUL 2021 AT 15:29

दिल की राहों से गुजरते हुए, उन पर दिल लुटा बैठे
चले थे औरों का दिल जीतने , उनपर दिल हार बैठे,
ना पता मंज़िल का था, ना रास्ते वाक़िफ़ थे,
निकल पड़े थे जिंदगी को ढूँढने, अपना वजूद खो बैठे।
अपने ही गम में डूबे थे, छिपा के समंदर आँखोमे,
उनके गम देखकर, अश्कों को रस्ता दे बैठे।
एक नशा इश्क का आँखोमे , हमे इल्म ही ना था
उन्होंने नज़रे उठाई और हम नज़रे मिला बैठे।
उसने कहा की अँधेरों से डर लगता हैं,
रोशनी के लिए हम अपना आशियाना जला बैठे।




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27 JUN 2021 AT 22:40

जैसे जैसे हम पास आते गए, दो दिल और उलझते गए
गिले, शिकवे सब एक तरफ, रिश्तें और गहराते गए।
जो बाते रखते थे दिल में दबा के हम ,
आपसे मिल कर वो अफ़साने जुबाँ पर आते गए।
गमसार जिंदगी के फँसाने कम ना थे,
आप को देखकर गम को भुलाते गए।
अपनी जुबा से लेकर हमारा नाम,
जिंदगी को हमारी आप महकाते गए।
डगमगाए कदम संभाले कैसे हम,
आप उन्हें और बहकाते गए।
कभी समझ ना आयी जो पहेली मोहब्बत की,
आप वो ही समझाते गए।
कभी पास आते रहे, कभी दूर जाते रहे,
उलझी जिंदगी को और उलझाते गए।







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