Lokpriy Pandey   (Lokpriy Pandey)
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अनंत बह्मांड में अतिसूक्ष्म
Joined 5 April 2018


अनंत बह्मांड में अतिसूक्ष्म
Joined 5 April 2018
27 DEC 2023 AT 10:03

जीवन की बहती यह नियमित समय धारा है
कभी इस पार , तो कभी उस पार का सहारा है
कालचक्र में आते जाते हर पल का यही हासिल
जीवन में कभी कुछ जीता तो कभी कुछ हारा है।

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24 OCT 2023 AT 8:08

जीवन समर में खुद को तपाना पड़ता है
हर रावण को हराने रघुवर को आना पड़ता है
जब जब होती है असुरत्व और देवत्व की लड़ाई
धर्म की जय के लिए नारायण को आना पड़ता है

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21 OCT 2023 AT 22:58

उससे कहने को अंतस में हर बार ख़्याल आता है
कैसे कहूं उससे, हर बार यही सवाल आता है
अपनी ही ध्वनियों को प्रतिध्वनियों में सुन सुनकर
न कह पाने के बीच, बीते हुए सालों पर मलाल आता है

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21 MAR 2023 AT 18:52

जंगलों को काटकर वो महल बना रहे हैं
फिर प्लास्टिक की चिड़ियों से उसे सजा रहे हैं
अपनी इस नासमझी को समझदारी समझ कर
तेरा मेरा करते करते वो सबको उलझा रहें हैं।

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1 MAR 2023 AT 18:16

मुद्दतों बाद भी ज़ेहन से जाती नहीं उसकी याद
कितने अरमान लिए घूमता था मैं खलीलाबाद

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28 FEB 2023 AT 21:42

किसी के शब्द या उसकी कहानी आपको सकारात्मक कर सकता है परन्तु प्रेरित नहीं। प्रेरणा तो केवल स्वयं के अन्तर्मन से ही उत्पन्न होता है।

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24 JAN 2023 AT 19:15

ग़म, खुशी, मिलन, बिछड़न सब किरदार देखते रह गए
हम मिलकर बिछड़ गए फिर मिलने की आस देखते रह गए
समय के साथ कदमताल की कोशिश करते करते
हम इतिहास के पन्नें पढ़ते पढ़ते वर्तमान देखते रह गए

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29 DEC 2022 AT 22:16

चाय से होकर चाहत की बात चली है
देह भवन में भावनाओं की खलबली है
क्या खोया क्या पाया के बीच अंतर इतना
एक से होकर दूसरे के तरफ बस चली है।

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8 JUN 2022 AT 14:15

सिंधु की महिमा कब समझेगा यह मानव जीव
सिंधु बिना रह सकती है क्या यह धरती सजीव
समुद्र मंथन से पहले भी निकले थे रत्न, नर और जीव
समुद्र में अब भी रहते है अनेकानेक निर्जीव और सजीव
शान्त समुद्र जल को निहारता किनारे बैठा व्याकुल जीव
पर समुद्र की व्याकुलता को कब समझेगा यह मानव जीव
समुद्र संसाधन को सहेज लो हे सर्व समर्थ मानव जीव
नहीं तो समुद्र के रौद्र रुप में विलीन होगा सम्पूर्ण निर्जीव और सजीव
तेल बूंद को जब खायेगा अनेकानेक सूक्ष्मजीव
तब रहेगा सबको जीवन देने वाला यह सिंधु सजीव
अगर देखना है सिंधु में कलरव करते मत्स्य और जलजीव
तो सिंधु को फिर स्वच्छ करो हे सर्व समर्थ मानव जीव

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2 JUN 2022 AT 13:18

Only one earth, Many lives
Save it for future survives...

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