Laxmikant Wankhede  
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तर्कशील हूं।
भ्रमित नहीं।।
बिना तथ्य के।
कैसे मान लूं?।।
Joined 20 April 2024


तर्कशील हूं।
भ्रमित नहीं।।
बिना तथ्य के।
कैसे मान लूं?।।
Joined 20 April 2024
28 APR AT 16:37

इंसान अपने पल भर के सुख के लिए अपने परमानंद का त्याग कर बैठता हैं और फिर पूछता हैं कि क्या मुझे खुश रहने का हक नहीं? आत्मपरीक्षण करो।

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27 APR AT 10:56

तुम्हें यादें💔 परेशान कर रही हैं....
और मैं परेशान इसलिए की
मेरी कोई यादें नहीं हैं।🫂 🙂🙃

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24 APR AT 9:03

तर्कशील हूं।
भ्रमित नहीं।।
बिना तथ्य के।
कैसे मान लूं?।।

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23 APR AT 9:16

हम भले ही दुनिया को पूरी तरह ना बदल पाएं लेकिन इसे पहले से थोड़ा और बेहतर जरूर बना सकते हैं। छोटी छोटी कोशिशें भी इसमें काम आती हैं। खुद से ही शुरुआत करें।

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22 APR AT 13:55

उन्हें लगता हैं हम बदलेंगे...

हम बदलेंगे...
लेकीन और ज्यादा अच्छे इंसान में।

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21 APR AT 8:48

उसने मुझसे कहा,
"औकात क्या हैं तुम्हारी!"

मैंने बताया,
"खुद कमाता हूं,
खुद खाता हूं।"

इससे ज्यादा औकात किसकी होती हैं।

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20 APR AT 22:57

यह सृष्टि और उसमें समाएं नज़ारे और अलग अलग आवाज खुशियों का एक गहरा सागर हैं। बाकी सारी खुशियां खत्म हो गई हो, तब भी एक विचारशील इंसान को इन नजारों और आवाजों का आनंद उठाने के लिए जिंदा रहने की ख्वाइश होती हैं।

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20 APR AT 21:39

कोई काम कल से शुरू करना
बुरा नहीं हैं...

बुरा हैं...
कल से शुरु करूँगा कह कर...
कल से शुरु ना करना।

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20 APR AT 20:06

रिश्ते-नाते तो सब चलते रहेंगे यारों; लेकिन एक अच्छा इंसान बनना सबसे बड़ा चैलेंज हैं।

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20 APR AT 19:45

जिम्मेदारीयाँ बोझ नहीं होती। वो हमारा फ़र्ज होती हैं। और फ़र्ज को निभाना हमारी जिम्मेदारी होती हैं।

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