हम भले ही दुनिया को पूरी तरह ना बदल पाएं लेकिन इसे पहले से थोड़ा और बेहतर जरूर बना सकते हैं। छोटी छोटी कोशिशें भी इसमें काम आती हैं। खुद से ही शुरुआत करें।
यह सृष्टि और उसमें समाएं नज़ारे और अलग अलग आवाज खुशियों का एक गहरा सागर हैं। बाकी सारी खुशियां खत्म हो गई हो, तब भी एक विचारशील इंसान को इन नजारों और आवाजों का आनंद उठाने के लिए जिंदा रहने की ख्वाइश होती हैं।