आँखें बंद करो रात बहुत हो गई है,
रात हो गई, पर वो अभी तक आया नहीं,
हक़ीक़त में वो तुमसे बहुत दूर है,
इसलिए सपनों में थोड़ा उससे मिल लिया करो।
आँखें बंद करो रात बहुत हो गई है,
रात हो गई है,पर वो सपना अभी तक आया नहीं,
शायद वो सपना भी आज कहीं चला गया है,
इसलिए उसके यादों को कुछ पंक्तियों में कैद कर लिया करो।
आँखें बंद करो रात बहुत हो गई है,
रात बहुत हो गई है, पर कोई भी विचार मन में आया नहीं,
शायद कविता भी आज बहुत मायूस है,
इसलिए कुछ अक्षरों को हथेली पर लिख लिया करो।
आँखें बंद करो रात बहुत हो गई है,
रात बहुत हो गई है, सुर वही है पर संगीत वो नहीं,
शायद ये खोखलापन कभी मिटने नहीं वाला है,
इसलिए जल्दी किसी किताब में घुस लिया करो।
आँखें बंद करो रात बहुत हो गई है,
रात हो गई है, पर किताबों में कोई चमक नहीं,
हताश होकर शायद तू अब अनपढ़ बन गई है,
इसलिए कुछ बातों की गूँज को अपने कानों में बचाकर रखो।
आँखें बंद करो रात बहुत हो गई है,
रात बहुत हो गई है, और उसमें ज़्यादा सब्र नहीं,
शायद भोर की घड़ी अब आ गई है,
इसलिए अपनी कलम को भी थोड़ा विराम दे दिया करो।
आँखें बंद किया करो, रात बहुत हो गई है,
रात बहुत हो गई है, और अब तू भी कहीं गायब हो गई है!
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