रात के सन्नाटे और तेरी आँखों का मौन,
यूँ बदलती जज्बातों का एक अनोखा सा पल,
एक एक घडी जैसे बीत रहा हो बरसों के इंतेजार में,
टूटे बिखरे जज्बातों का अपना पन जैसे पास आ रहा हो,
ये दूरी कब तक सही जाए,
उमीद और सब्र बहुर लंबी है,
अब इस पल को क्यों न ख़ास बनाया जाए,
तुम और मैं और ये चाँदनी रात
सब एक दूजे के आस में है,
सबकी अपनी अपनी ख्वाईश है,
चलो आज की रात हर ख्वाईश का अंत कर दें,
प्यासे होठों को एक नयी सौगात दे दें,
एक दूजे की बाहों में लंबी रात जगेगी,
हाथोँ का छुवन से तेरे बदन आज हर ख्वाईश आजमाइयेगी,
रोम रोम महकेगा मेरे प्यार की खुश्बू से,
कमर मेरे आघोस में और जुल्फों के छाँव होगी,
तेरी तड़पती बदन की चाह मेरे उंगलियों के ऊपर होगी,
धीरे धीरे नाप देंगे जितनी तुम्हारी चाहत होगी,
सारी रात निलकेगी उमीदों का हर एक एक बूंद,
मोहब्बत की इस रात होगा शादियों तक यादगार ।।
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