ये धुंध चड़ी है आँखों पे, इसको समझ तो सही, क्यों बैठा है आस में, इस पर अमल तो कर सही। -
ये धुंध चड़ी है आँखों पे, इसको समझ तो सही, क्यों बैठा है आस में, इस पर अमल तो कर सही।
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यूँ बैठी तो एक ख्याल आया मन को, ना तराशूँ खुदको तो क्या हकीकत होगी मेरी, ऐसा तो नहीं बिना बगावत की लकीरें होंगी मेरी, बैठीं हूँ घमंड में कि वाह- वाह होगी, क्या सचमें ऐसी किस्मत होगी मेरी? -
यूँ बैठी तो एक ख्याल आया मन को, ना तराशूँ खुदको तो क्या हकीकत होगी मेरी, ऐसा तो नहीं बिना बगावत की लकीरें होंगी मेरी, बैठीं हूँ घमंड में कि वाह- वाह होगी, क्या सचमें ऐसी किस्मत होगी मेरी?
मुशायरे में शायरो को नामा कीजिए, कुछ शेरो शयारी का काम आप भी कीजिए, हम तो भटकते हैं शब्दों की तलाश में, यूँ हमारे वक़्त को बदनाम न कीजिए -
मुशायरे में शायरो को नामा कीजिए, कुछ शेरो शयारी का काम आप भी कीजिए, हम तो भटकते हैं शब्दों की तलाश में, यूँ हमारे वक़्त को बदनाम न कीजिए
गम की स्याही को संभाल कर बैठे है, क्या कहे हम तो गालिब हो बैठे हैं, उनका हमसे कोई वास्ता न था, और हम बवाल किए बैठे हैं।। -
गम की स्याही को संभाल कर बैठे है, क्या कहे हम तो गालिब हो बैठे हैं, उनका हमसे कोई वास्ता न था, और हम बवाल किए बैठे हैं।।
चित्त को साध रही हूँ चित्त की शांति के लिए, चिंतन कर रही हूँ चित्त की अक्रांति के लिए। -
चित्त को साध रही हूँ चित्त की शांति के लिए, चिंतन कर रही हूँ चित्त की अक्रांति के लिए।
कुछ उदास सी हुँ कुछ अनमनी सी हुँ, लड़ रही हूँ पर कुछ हारी सी हुँ, हिम्मत बहुत है पर कुछ डरी सी हुँ, बयाँ कर रही हूँ पर कुछचुप सी हुँ -
कुछ उदास सी हुँ कुछ अनमनी सी हुँ, लड़ रही हूँ पर कुछ हारी सी हुँ, हिम्मत बहुत है पर कुछ डरी सी हुँ, बयाँ कर रही हूँ पर कुछचुप सी हुँ
ये युद्ध है जिसका अंत न होगा, अनंत का अंत संभव न होगा, जो मिल जाए बिना लड़े, ऐसा कोई संभव न होगा। -
ये युद्ध है जिसका अंत न होगा, अनंत का अंत संभव न होगा, जो मिल जाए बिना लड़े, ऐसा कोई संभव न होगा।