KUMAR PRADEEP   (सरल)
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Joined 19 August 2020


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Joined 19 August 2020
3 DEC 2021 AT 16:42

दिल को अब कुछ आराम दो,
ख्वाहिशों को अब कुछ विराम दो ।
यूं वक्त का इम्तिहान न लो,
असीमित चाहतों को अब त्याग दो ।।

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2 DEC 2021 AT 22:31

चहकता,महकता
बदन
बात करते होंठ

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2 DEC 2021 AT 22:18

Touching you makes me
More loving

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2 DEC 2021 AT 22:09

इश्क का दरिया डूबा दे तो बेहतर होगा
यूं तैर कर भी किनारा न मिले तो
क्या करें साहिब

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2 DEC 2021 AT 21:56

तू चांद है या चांद सी
मगर तेरी शीतलता गजब है
तू मय है या मय सी
मगर तेरा नशा गजब है

सच्ची तुम जान हो मेरी

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25 SEP 2021 AT 22:37

अब नही रहती है
उस गली में
जहां हम रोज जाया करते थे

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11 SEP 2021 AT 23:59

शुभ रात्रि दोस्तों
😴😴😴😴

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4 SEP 2021 AT 14:29

राजस्थान

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2 SEP 2021 AT 23:11

एहसासों की सिलवटें, खामोशियों को तोड़ देती है
गर्म चाय की साथ दो चुस्कियां भी, लंबी याद छोड़ देती है

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16 AUG 2021 AT 13:19

तुम सोई सी,अधजगी सी,रात के अंतिम पहर सी ।
तुम ठहरी सी,इठलाती सी,नदी के अंदर लहर सी ।।

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