Kumar Gourav SHARMA   (Raja jabalpuriya)
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Entertainment, Love, inspiration. Self writing improve your life style
Joined 14 November 2023


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21 APR AT 16:40

मेरी समझ से बड़े सुलझे हुए लगते है
देखने में भी बहुत खूबसूरत लगते हो
आओ पास कभी , तुम्हारी अहमियत बताएं
किसके पास हो और किसकी जरूरत लगते हो।


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13 APR AT 22:48

आराम हो गया है, आराम के लिए फिर जाना है
किसी के काम आकर अपना घर चलाना है
किसी की खुशी में अपनी खुशियां झोकनी है
अपनी मुस्कान को कई चेहरों पे सजाना है
जिम्मेदारी है कंधों पे, थोड़ा सिर तो झुकाना है
ठोकरों से सीखना, फिर बढ़ते ही जाना है

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13 APR AT 14:07

छोटी सी जिंदिगी में नाम बड़ा करना
ख्वाबों की नींव है, हकीकत का जहान खड़ा करना है

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7 APR AT 18:44

ये खंजर कहां छुपा रखा था आपने
हमने कई दफा तलाशी ली थी आपकी।

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21 MAR AT 10:42

ये किस नज़ाकत से देखा है तुमने मुझे कि
दिन गुजारने का सारा समान दे गए

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19 MAR AT 22:22

कहते हो हर बात समझते हो मेरी
फिर वही बातें समझानी पड़ती है
रोज जताते है हम मुहब्बत तुमसे
लगता है तुम्हें हां में हां मिलानी पड़ती है

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18 MAR AT 22:38

हाथों से निकल गया मेरे, वो परिंदा ही तो था
हमें जमीं पे रहना है, वो शाख का बासिंदा ही तो था

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17 MAR AT 23:00

कहने को तो कुछ भी नहीं है तन्हाई में
सुकून का समान ढूंढता हूं खुद की गहराई में
मुझसे मिलो तो मेरी कैफियत न पूछना
कौन रखता है दर्द का हिसाब जुदाई में

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15 MAR AT 23:03

कभी जमीं तो कभी फलक देखता है
मैं तेरे सामने हूं तू क्या देखता है
इन लहरों पे कभी ठहराव न आएगा
मैं किनारे पे हूं, तू समुंदर देखता है

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15 MAR AT 22:58

हर अदा पे आपकी, फरमाइश है मेरी
हर अदा मेरे लिए हो, यही ख्वाइश है मेरी

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