Kumar Anurag   (Kumar Anurag)
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Joined 16 August 2020


Joined 16 August 2020
1 JAN 2022 AT 23:48


इश्क ने इश्क में इश्क से, इश्क का इज़हार कर दिया,
वफ़ा ने वफ़ा में वफा को, वफा से वफादार कर दिया;
कोई किसी को किसी के, किस्मत से कबतक छुपाए,
निगाहों ने निगाहों में जाहिर,निगाहों का प्यार कर दिया।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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1 JAN 2022 AT 22:53


कि मरना हैं तो आज मरे, क्या ये रोज़ रोज़ का मरना हैं,
जीत ही आखिरी लक्ष्य गर तो फिर, हार से क्या डरना हैं;
जो लड़ने से ही डरते हैं, उनसे उम्मीद कहां की जाती हैं,
पता नही कब सांसे थम जाए, जीते जी कुछ तो करना हैं।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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1 JAN 2022 AT 18:45


नई-नई आज सुबह उगी हैं, फिर नई-नई ये शुरुआत हुई,
नए-नए खिले मौसम में देखो, फिर नई-नई ये बात हुई;
जो बीत गया सो बीत गया, अब बीते लम्हों में क्या जीना हैं,
नए-नए सफर में फिर, नई-नई खुशियों से मुलाकात हुई।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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28 DEC 2021 AT 20:35


ज़हन के किसी कोने में दफ़न, एक दर्द से आज भी बेहद डरता हूं,
आंसू के सारे बूंदों को घूंट में पीकर, हर रोज हल्का-हल्का मरता हूं;
मां‌ की याद में कुछ लफ्ज़ लिखूं तो, बेशक आज भी हाथ कांपते हैं,
जिस्म से रूह को अलग करने की खातिर,आज भी खुद से लड़ता हूं।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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27 DEC 2021 AT 20:04


गुज़र रहें लम्हों की कीमत, इन गुजर चुके सदियों से पूछो,
बारिश के बूंदों की कीमत, अब सुख चुके नदियों से पूछो;
अहमियत हर चीज़ की होती हैं, बस वक्त-वक्त की बात हैं,
यादों के धुएं की कीमत, राख में मिल चुके हस्तियों से पूछो।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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26 DEC 2021 AT 19:59


दुनिया की इतनी सुनते हो, कभी इस शायर की नसीहत भी थोड़ी सुन लेना,
मां के अश्क के बदले चुनना पड़े तो, ज़हर का प्याला भी खुशी से चुन लेना ;
यकीन करो वो ज़हर का प्याला भी, उन तीखे तानों से ज़रा सी मीठी ही होगी,
कितने कष्ट लिए, कितनों से लड़े, मां गर्भ से सिर्फ तुम्हारे लिए ही जीती होगी।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag


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25 DEC 2021 AT 20:14


आज मैं कौन हूं जानने से पहले, कल मैं कौन था समझ लो तो बेहतर हैं,
जिसके मुस्कुराहट से हैं इश्क तुम्हें, उसके दर्द समझ लो तो बेहतर हैं,
गर अरमान अधूरे रह गए तो मत कहना ,सारे लड़के एक जैसे होते हैं,
कस्ती में यूं उतरने से पहले, समंदर की गहराई समझ लो तो बेहतर हैं।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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24 DEC 2021 AT 20:22


कभी घूमने जाएं बाहर तो, बाज़ार से थोड़ी नज़ाकत खरीद लाइयेगा,
उन नजाकतों की हम थोड़ी तारीफ़ करे तो, मुड़कर ज़रा सा शर्माएगा;
यूं तो हम पहले से ही फिदा हैं, यकीनन आपकी हर मासूम अदाओं पे,
जब भी याद आए मेरी तो, आईने में खुद के हुस्न को देख मुस्कुराइगा ।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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23 DEC 2021 AT 20:21


The Real Curse....

For those who says that Almighty God never discriminate,
Ask them to explain the criteria for these Rich & poor trait.

Silver Spoon baby has numerous ways in life to diverse,
But unfortunately having born as poor child is the real curse.

They sleep in the kitchen where whole day they used to cook
Please never ask them to answer them where is their book.

Surely they have many balloons but strictly asked to sell,
Obviously they have beautiful toys but can't afford to play.

They work at the hotels and some firework place indeed,
Two times food and single dress consists all they are in need.

Money is the most important thing that they have ever ever seen,
Even they wants to get rid of washroom that they are forced to clean.

Elite peoples spends thousands on coffee for a single thrill,
Thousand means for a poor child is their whole month meals.

Some nobel person declare them as bloody cleaver thief,
At first go and atleast look at the place where they sleep.

If you don't have sympathy then you don't have right to abuse,
They are already living in pain they even don't have tear to loose......

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag



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22 DEC 2021 AT 20:06


कत्ल करने आए थे जो कातिल, मेरा जख्म देखकर ही रो पड़े,
जितने अरमान थे आशिकी के, आहिस्ते-आहिस्ते सारे सो गए;
शिकवा क्या करे उनसे जिन्हे, अपने जुर्म से भी कोई गिला नहीं,
जज़्बात भी फकत वजूद की खातिर, एक इश्क पे कुर्बान हो गए ।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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