कुमार आज़ाद   (कुमार आज़ाद)
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Joined 3 May 2018


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Joined 3 May 2018

पूरे हो
ये ही मेरे ख्वाब
तुम ख्वाब हो
मैं ख्वाब देख
कर खुश हूँ।

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प्रेम
प्रेम न केवल भावना,
प्रेम आस विश्वास।।
प्रेम ध्यान तप योग है,
प्रेम ईश उपवास।।

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स्वप्रयत्नमेव पुरुषार्थः

स्वयं का प्रयत्न /प्रयास ही पुरुषार्थ है।

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न तेरी बाहें चाहिए
न तेरी पनाहें चाहिए
जिंदगी के तन्हा सफ़र में
तेरी यादों की राहें चाहिए।

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दिल की दिल सुनता है इक दिन क्या ये मेरा था वहम।
दिल जो टूटा इश्क को भी इश्क से आई शरम।
संगदिल है ये जहाँ और संगदिल मेरा सनम।
क्या अधूरा इश्क करने को लिया था मै जनम।

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बीती रात को माँ की तबियत बिगड़ी तो अभिषेक सुबह माँ को अस्पताल ले गया। डॉ ने चेक किया और कहाँ रक्तचाप तथा धड़कन की जाँच करा लाओ। माँ को अंदर बैठाने के लिए अभिषेक ने लाइन में खड़ी लड़की (जो वेशभूषा से नर्स जैसी लग रही थी) से कहा एक्क्युज मी। साइड प्लिस्। लड़की ने कहा - मैं मोबाइल नम्बर लिखवाने के लिए खड़ी हूँ और उसने माँ को अंदर जाने दिया। अभिषेक कक्ष बाहर ही खड़ा हो गया। लड़की ने पलट कर अभिषेक से कहा - वो आपकी माँ है? अभिषेक ने हाँ में सिर हिला दिया। मै भी अपनी माँ के साथ आई हूँ - लकड़की ने कहा।अभिषेक मुस्कुरा दिया। लड़की ने अभिषेक को उपर से नीचे तक देखा (अभिषेक ने फॉर्मल असमानी रंग की शर्ट और डार्क नीली पेंट पहनी थी। हाथ में घडी, चश्मा, साइड बैग कंधे पर था)और बोली - क्या आप जॉब करते हो? इसी बीच नर्स ने आवाज लगाई। अभिषेक लड़की का उत्तर दिए बिना ही माँ को लेकर चला गया। लड़की देखती रह गई।

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सबके पास नेट वाला मोबाइल देखकर राजीव का मन भी मोबाइल खरीदने को आतुर हो गया। कॉलेज में पढ़ते हुए प्राइवेट कंपनी में जॉब करके दूसरी सैलरी में ही नया मोबाइल खरीद लिया। फेसबुक पर अकाउंट बनाया। वहाँ किसी सामाजिक विषय की पोस्ट पर कॉमेंट में पूजा से उसकी बात होना शुरू हुई और इनबॉक्स से होते हुए कॉल तक आ पहुंची। पहली बार किसी लड़की से अपनापन पाकर राजीव का दिल धड़क उठा। पर पूजा पहले ही कमिटेड थी। राजीव की शुद्ध भावना मन में और प्रेम हृदय में ही दफन हो गया। 🤐

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कर यकीं हर शख्स पर मैं, खुद पे शर्मिंदा रहा।
लुट गया सौ बार आदम, जमीर पर जिंदा रहा।।
हारता हर पल मैं मौला, तू मुझे लड़ना सिखा।
इल्म ना इंसां का मुझ नादाँ को तू पढना सिखा।।

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जागती आँखों से सपने, देखता हूँ अब यहाँ
नींद से मैं दूर हूँ अब, तू कहाँ न अब वहाँ
हर तरफ यादें हैं बिखरी, संग पल गुजरे जहाँ
गम खुशी का रूप लेते, याद तू आए जहाँ

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रंग नेह का हलका पिला,
जैसे सुरभित चन्दन है।
हर रचना के शब्दों में यूँ,
भावों का स्पन्दन है।।
सदा स्वागत सरल हृदय का,
सदा हृदय से वन्दन है।
योर कोट पे आपश्री का,
कोटि-कोटि अभिनन्दन है।।

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