सभी ने उसके घड़ियाले आंशु देखे...पर मेरे सच को कभी माना ही नहीं... मुझपे क्या बीती किसी ने जाना ही नहीं या जानना चाहा ही नहीं😞😞😞
दूँढ़ते रहे हम बंद आँखों से अपनों को...आंख खुली तो किसी ने अपनाया ही नहीं....सब अपना-अपना अर्थ दूँढ़ते-निकालते रहे हमारे शब्दों का... हमारी खामोशी को किसी ने समझना चाहा ही नहीं,🙇🏼😞🙇🏼....
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