Kritika Mehta   (Freelywriting14)
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I live in jaipur nd i like writing
Joined 14 August 2020


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31 JAN 2022 AT 20:30

मुझे आज तक ये समझ नहीं आया?
हमे बुरा वही क्यों बोलते हैं,
जिनके लिए हम बुरा सुन भी नहीं पाते।— % &

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14 NOV 2021 AT 21:34

बच्चे मन के सच्चे

बच्चे मन के सच्चे,
चंचल से अपने मन की करने वाले,
मनमोहक सी उनकी हर अदा,
जो आजाए कभी वो जिद पर अगर तो
न माने वो किसी की बात,
बच्चे मन के सच्चे,
वो झूठ कभी नहीं बोलते,
वो जहर कभी नहीं घोलते,
बच्चे मन के सच्चे,
जो राह उन्हें बताए सभी,
वो उसी राह पर चल जाते हैं,
बच्चे मन के हैं सच्चे,
उनकी वो भोली सी सूरत,
उस पर ये मनमोहक सी मुस्कान,
हैं बच्चे मन के सच्चे।

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12 NOV 2021 AT 18:05

खुद से प्यार

मैंने इस जीवन की ये एक बात अच्छे से समझी हैं,
की पैसो से प्यार करोंगे,
तो रिशतो को खो दोंगे,
और उन तमाम रिशतो से प्यार करोंगे,
तो एक दिन खुद को ही खो दोंगे,
तो खुद के प्यार करना सीखो।

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11 NOV 2021 AT 13:19

क्योंकि औरत हो तुम

क्योंकि औरत हो तुम,
तुम जरा झुक्कर और अपनी निगाहों को जरा झुकाकर के चलो,
क्योंकि औरत हो तुम,
तुम जरा सा धीरे चलो मेरे कदम से कदम न मिलाया करो
क्योंकि औरत हो तुम,
तुम ज्यादा ना बोलो ये हक नहीं हैं तुमको,
क्योंकि औरत हो तुम,
तुम ज्यादा पढकर क्या करोंगी
क्योंकि औरत हो तुम,
तुम कुछ सीख नहीं सकती घर का चूल्हा चौका कौन करेंगा?
क्योंकि औरत हो तुम,
तुम शादी करो बच्चे पैदा करो ये धर्म हैं तुम्हारा,
क्योंकि औरत हो तुम,
तुम उडने के खवाब क्यों ही देखो,जस
क्योंकि औरत हो तुम,
जरा इस समाज से तो डरो,
क्योंकि औरत हो तुम,
मुझे ये हर पल ये याद दिलाने का,
और मेरी सीमाएं तय कर जाने का,
इस समाज को हैं मेरा शुक्रिया,
क्योंकि हाँ एक औरत हूँ मैं।

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5 NOV 2021 AT 2:01

दीपावली के दीप ने सीखा दिया

दीपावली के दीप ने सीखा दिया,
जल-जल के रौशन करना,
दीपावली के दीप ने सीखा दिया,
अंधेरो में रौशनी करना,
दीपावली के दीप ने सीखा दिया,
दिया बाती जैसा साथ निभा ना,
दीपावली के दीप ने सीखा दिया,
खूद जलकर भी उजियारा करना,
दीपावली के दीप ने सीखा दिया,
एक अंधेरे आगंन को जगमग करना,
दीपावली के दीप ने सीखा दिया,
दीपावली पर विरासत में खुशिया बांटना।


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14 OCT 2021 AT 10:16

ये सुबह भी कितनी खूबसूरत हैं

ये सुबह भी कितनी खूबसूरत हैं,
सुरज की पहली किरण,
मन में ले आती सुकून हैं,
ये सुबह भी कितनी खूबसूरत हैं,
हर सुबह मुझे एक नये उजाले से ये मिलवाती हैं,
हैं अंधेरे के बाद उजाला जीवन का यही पाठ सीखलाती हैं,
ये सुबह भी कितनी खूबसूरत हैं,
रोज ये उजाला अपने समय पर आता-जाता हैं,
अपना सारा काम तो ये बखूबी कर जाता हैं,
समय पर चलना ही ये सबको सीखलाता हैं,
न जाने ये सुबह भी कितनी खूबसूरत हैं,
ये सुबह के सुकून में ये पक्षियों की चह चाहट
जैसे एक मधुर राग सुना रही हों,
ये सुबह भी कितनी खूबसूरत हैं,
ये आज ये सबको बता रही हैं,
सुबह की किरण फूलो को यू ही गुदगुदा रही हैं,
उन्ही फूलो की मुस्कान भी तो मेरे जीवन को यू ही महका रही हैं,
फिर भी कोई ये समझ न पाए,
ये सुबह क्यों? इतनी खूबसूरत हैं।

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9 OCT 2021 AT 8:26

आज भी याद हैं, मुझे

आज भी याद हैं, मुझे,
वो बरसातो में सडको पर आशियाने की तलाश में भटकना,
उस पर बडे-बडे मंत्रियो के ढकोसले वाले बडे-बडे दावे,
आज भी याद हैं,मुझे,
सबकी सच्ची लगने वाली बाते जो चाहकर भी सच न हो सके,
आज भी याद हैं,मुझे,
लोगो का हमे दलित वर्ग का बोलकर समाचारो में हमे सम्मान देना,
आज भी याद हैं,मुझे,
वो बारिश की बूंदो से अपना पेट भरना,
आज भी याद हैं,मुझे,
समाचारो में हमारे लिए झूठी उम्मीद देना,
आज भी याद हैं,मुझे,
लोगो का हमे यू धूतकारना,
आज भी याद हैं,मुझे,
रोज इसी उम्मीद में जागना की हम भी एक आशियाने में रहे,
आज भी याद हैं,मुझे,
उन बेनाम उम्मीदो का पूरा न होना,
आज भी याद हैं,मुझे।
- Freelywriting14

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6 OCT 2021 AT 8:56

जिसने चुप रहना सीख लिया

जिसने चुप रहना सीख लिया,
उसने अपनी आँखो को ही मूद लिया,
जिसने चुप रहना सीख लिया,
उसने अपने अल्फाजो को भी यू तनाहा छोड दिया,
जिसने चुप रहना सीख लिया,
उसने उम्मीदो का दामन भी छोड दिया,
जिसने चुप रहना सीख लिया,
वो अच्छाई - बुराई को भी भुल गया,
जिसने चुप रहना सीख लिया,
उसने लाखो गमों को भी बयां करना छोड दिया,
जिसने चुप रहना सीख लिया,
वो ही इस संसार में क्यों तन्हा रह गया,
कोई तो ये बतलाए,
क्यों? चुप रहना उसने सीख लिया।




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4 OCT 2021 AT 13:02

रौशनी की तलाश
अंधेरी रात उसमें रौशनी की तलाश,
एक खूफियाना सी बात,
उसमें कुछ रौशनी की तलाश,
यही तो कशमकश हैं, इस जीवन की,
एक अंधेरी रात उसमें रौशनी की तलाश,
यू तो खो से गए हम इस बार,
हमे कुछ ढूढ़ने की भी आस,
एक अंधेरी रात उसमें रौशनी की तलाश,
न जाने मिलती नहीं वो हमे इस बार,
कुछ ढूढ़ने की हैं, आस,
एक अंधेरी रात उसमें रौशनी की तलाश,
यू तो हार न माने हम इस बार,
एक अंधेरी रात उसमें रौशनी की तलाश।
- Freelywriting14





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24 SEP 2021 AT 14:32

गुरु

गुरु की वाणी,
गुरु की सीख,
गुरु की नेकी,
गुरु की शिक्षा,
गुरु का ज्ञान,
गुरु की डांट,
गुरु की फटकार,
गुरु का लाड़,
गुरु की अच्छाई,
गुरु की बढ़ाई,
यही हैं वो नाम,
जिसने हरएक की जिंदगी बनाई।।
-freelywriting14

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