Kritika Khandelwal   (Kritika Khandelwal'कृति')
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Joined 12 November 2018


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16 APR AT 20:09

तुम बचा लोगे इस यकीं पे मैं समंदर में कूद गई
चलो इस ग़लतफ़हमी के बहाने मैं तैरना तो सीख गई

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12 MAR AT 20:22

पुरुष के लिए प्रेम सिर्फ़ एक काम है
स्त्री के लिए सिर्फ़ प्रेम ही एक काम है

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21 JAN AT 18:49

मुझे फिर मिलना है तुमसे
बिल्कुल पहली बार की तरह
वो ही शहर, वो ही तारीख़
वो ही अंदाज़, वो ही जगह

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31 DEC 2023 AT 20:50

एकदम नज़दीक आके भी बिछड़ जाते हैं
दिसंबर और जनवरी कभी मिल नहीं पाते हैं

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24 DEC 2023 AT 19:31

क्या पता
किस पल
किसकी
कैसे हार हो
हममें से कौन
कब
कहाँ
आख़िरी बार हो

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17 DEC 2023 AT 18:50

कुछ मसलों में बेसब्री ही ज़रूरी होती है
क्यूंकि सब्र का फल हमेशा मीठा नहीं होता

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10 DEC 2023 AT 19:23

पहले सिर्फ़ औरों से करती थी
अब ख़ुद से भी वफ़ा करती हूं
जो दर्द देता है इस दिल को
उसे मैं दिल से दफ़ा करती हूं

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20 NOV 2023 AT 21:13

असल दूरी का एहसास तो तब हुआ
जब मेरे शहर आकर वो होटल में रुका

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6 NOV 2023 AT 18:40

एहसासों से खाली लोग
बातें बहुत बड़ी बड़ी करते हैं

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28 OCT 2023 AT 18:03

मैं कभी नहीं चाहती थी कि मैं बुलाऊं और वो आए
मैं चाहती थी कि वो रह ना पाए और किसी बहाने से आए

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