तेरे नाम से महफिल सजाऊंगी एक दिन, तेरा मेरा वह छोटा सा किस्सा सबको सुनाऊंगी एक दिन। और हर सुनने वाले को इश्क होगा तुझसे, मैं तेरे बारे में कुछ इस कदर बताऊंगी एक दिन।।
खुद को दिलासा दे कर रिश्ता बचा रहे थे हम, मोहब्बत उन्हें भी है खुद को बता रहे थे हम। लौट आएंगे वापस तो लिपट के रोएंगे दोनों, खुद से यह फरेब बखूबी निभा रहे थे हम। उनका जिक्र आया तो किस्सा सुना रहे थे हम, उस किस्से में भी उन्हें अपना बता रहे थे हम। वक्त रहते खुद को आईना दिखा रहे थे हम, कागज पर नाम लिख उनका खुद ही मिटा रहे थे हम।
वह लौट आएंगे वापस तो लिपट के रोएंगे दोनों, खुद से यह फरेब बखूबी निभा रहे थे हम। उनका जिक्र आया तो किस्सा सुना रहे थे हम, उस किस्से में भी उन्हें अपना बता रहे थे हम।।