Krishna Baghel  
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INSTA ID:-Krishna_Baghel_007
FACEBOOK:-Krishna Baghel
Joined 4 May 2020


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11 JUN 2020 AT 9:49

दोस्ती कमाल है, दोस्ती एक मिशाल है
दोस्त के लिए तो कुर्बान है जान
एक दोस्त है दूसरे दोस्त की पहेचान।

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9 JUN 2020 AT 19:36

ये तकदीर की कैसी मार है
एक तरफ प्यार है, तो दूसरी तरफ यार है
यार के लिये हर प्यार से इन्कार है।

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30 MAY 2020 AT 19:56


वो स्कूल के दिन आज भी याद आते हैं
वो डांट फटकार भूले से ना भूलाते है
दोस्तो के वो हसी भरे चुटकुले आज भी कानो में गुनगुनाते हैं
जिंदगी की भाग दौड़ मे भी वो लम्हे याद आते है
कुछ ऐसे दोस्त जो जिंदगी को जिंदगी बनाते है
वो स्कूल के दिन आज भी याद आते हैं
वो कंबाइन क्लास, वो हैंड क्रिकेट का अभ्यास
वो कच्चे आम की खटास,वो किस्से कहानी की मिठास
वो क्रिकेट का मैच, वो अक्षत के विनिंग कैच
10'A' को बहुत डराते हैं
वो स्कूल के दिन आज भी याद आते हैं।
-krishna Baghel

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18 MAY 2020 AT 19:43

सपनो की‌‌ उड़ान
सपने बहुत कुछ कह जाते है
जीने की चाह बताते है
कभी दिवाना बनाते है
तो‌ कभी गर्लफ्रेंड के दर्शन कराते है
सपने जीना हमें सिखाते है
सपने बहुत कुछ कह जाते है।
कभी भयानक रूप धारण कर डराते है
तो कभी साथी बन मनाते है
कुछ कहें बिना जताते है
नया अनुभव सिखाते है
सपने बहुत कुछ कह जाते है।

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16 MAY 2020 AT 9:57

जिंदगी में ऐतबार नहीं होता
नफ़रत के बाद अब उससे प्यार नहीं होता

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15 MAY 2020 AT 15:52


थाम लो मेरा हाथ
फिर होगी एक मुलाक़ात
वो प्यार की सौगात
वो रूठी हुई रात
चलो मेरे साथ

वो जिंदगी की आखिरी बात
होगी उसके साथ
नए प्यार की सूरूवात
वो थामेगी मेरा हाथ
चलो मेरे साथ

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14 MAY 2020 AT 14:59

कमी कहां रह जाती है
वो ऐसे आती है;
अनदेखा कर निकल जाती है
उसकी खामोशी यूं रूलाती है;
कमी कहां रह जाती है।

उसकी उदासी बहुत कुछ कह जाती है
यू ऐसे तड़पाती है;
कि दिल से धड़कन छीन जाती है
अब बेताबी सताती है;
कमी कहां रह जाती है।

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13 MAY 2020 AT 18:49

ये कैसा कोरोना आया है
इंसानो को भोग बनाया है;
सब को घर मे बैठाया है
दुनिया मे खुब छाया है;
ये अपना परचम लहराया है
ये कैसा कोरोना आया है।

इसने बुढ़े, बच्चे को एक समान माना है
सबकी मौत की ठाना है;
दुनिया को बंद कराया है
इसने हाहाकार मचाया है;
ये कैसा कोरोना आया है
इंसानो को भोग बनाया है।
-Krishna Baghel

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12 MAY 2020 AT 19:07

हमे अपनो ने लुटा गैरो मे कहा दम था;
समुद्र मे कूदे पर वहां पानी कम था।

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12 MAY 2020 AT 15:28


कुछ चुपचाप आते हैं;
तो कुछ मुस्कराते निकल जाते है
कुछ मायुसी दिखलाते हैं;
पर चुप ही रह जाते है
सब कुछ कहां कह पाते है।

कुछ अपना दर्द छिपाते है
कुछ अनसुनी सुनाते है;
कुछ दिल को दिलासा दे जाते है
सब कुछ कहां कह पाते है।
-Krishna Baghel

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