Krish CHAUDHARY   (Krish Chaudhary)
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Law student
Joined 30 January 2019


Law student
Joined 30 January 2019
2 HOURS AGO

अब तो सब को ज्ञात है अपने–अपने दोहरें चरित्र से निकलती इत्र से ।। ऐसे ही नहीं मंदिरों के बाहिर भीड़ उमड़ती है ।।

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3 HOURS AGO

कभी बैचैनी से जूझता था कुछ बातें जानने को ।
अब बैचेन न हो जाऊं इस कदर बचाता हु कुछ बातें जानने से ।।

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30 APR AT 0:38

– की कहते हैं –
अक्सर डूबा जाती है वो तख्त पे रखी ज़िम्मेदारियों की बोझ ।। कई डूबने वाले शख्स हमने तैराक भी देखें हैं ।

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29 APR AT 19:47

चेहरे से नहीं नकाबों से सामना हुआ हैं ।। की खुद को सही साबित करने को लोग किस हद तक गिर सकते हैं ।।

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25 APR AT 23:03

इतने शिद्दत (shiddat) से लगाव–ऐ–धूर्त होने लगे हैं शख़्स ।। अब हमने भी सवालों का सिलसिला पूछना ख़त्म कर दिया ।।

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24 APR AT 19:02

आज का भरोसा आने वाले कल का धोका है ।।
ये बातें अब अपनी सोच को समझा देना ।।

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22 APR AT 14:42

पहले इंसानों की वार्तालापो से जाने जातें थे चरित्र इंसानों की ।।
अब तो बस फोन ही बता पाएंगे उनकी असलियत क्या है ।।

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14 APR AT 8:42

रफ्ता रफ्ता यूं किस्तों में खाती गई
– लगातार वो साहब जादी उसे । वो मर्द भी यूं भ्रम में था की लगाव ज्यादा है ।।

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10 APR AT 18:27

हमारी वार्ता पे मत जा वाजिद ।।
देख हमारे रक़ीब अभी भी जिंदा हैं ।।

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30 MAR AT 4:24

बाजारों में जो निकाला तो देखा ,
बेचने को नकाबें लगातें थे कुछ गैर चेहरे ।।
नादान मैं भी पता कहां नकाबे पहने ख़रीद फिरते हैं अपने ।।

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