भीड़ में नहीं , नारी तुम अकेली चल
अपने लिए बेहतर सोचो तुम कल
भीड़ का हिस्सा नहीं तुम
भीड़ से अलग हो वही तुम
नए-नए सपनों आँखों में,
नए-नए अरमान हो
अब नारी तुम्हें ऐसा कुछ कर जाना हैं
जिससे तुम्हें खुद पर मान हो
भीड़ से हटकर लाखो में अलग नारी की पहचान हो
भीड़ में नहीं , नारी तुम अकेली चल
अपने लिए बेहतर सोचो तुम कल
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