Kiran Krishna Pathak   (किran कृष्णा)
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Joined 29 December 2019


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Joined 29 December 2019

सौरभ ऑफिस से निकल रहा था बाहर
निकल कर ड्राइवर को बुलाया चलो राघव।
आगे बढ़ते ही एक हवेली की ओर से आवाज़
सुनाई दी दर्द भरी जो अनसुने गीत से गूँज
उठा था सौरभ पहली बार यह गीत सुन रहा
था जो एक छाप दिल पर डाल चुका था।
सौरभ एक नेक इंसान था अनसुने गीत
सुनकर सौरभ का हृदय द्रवित हो गया था
ये अनसुने गीत सौरभ के दिल में घर कर
चुकी थी जो एक लड़की की करुण पुकार थी।

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//जब वक़्त से मिला//
जब वक़्त से मिला तब लगा वक़्त का अंदाजा
जब,वक़्त ने ही वक़्त का तक़ाज़ा बताया।
करके समझौता पल समय के साथ बिताया,
जो भी मिला वक़्त से हँसकर गले लगाया।

वक़्त फिसलता गया हाथों से रेत की तरह,
क़ीमती वक़्त के साथ मिलकर वक़्त बिताया।
बनकर ग़ुलाम वक़्त की रह गई यह ज़िंदगी ,
जैसा चाहा वक़्त ने कठपुतली की तरह नाचाया।

वक़्त ठहरा कब है चलता रहता है निरंतर गति से,
अंत में रोया वही जिसने यह अनमोल वक़्त गँवाया।
वक़्त है साहब!वक़्त से रहना पड़ता डरकर,कृष्णा"
बिना रब की रहमत के कोई वक़्त कहाँ बदल पाया।

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यादों में उसकी जिए जाते हैं इश्क़ की,
ज़ंज़ीरों में जकड़ कर ज़िंदा लाश बनकर।

किया जो मोहब्बत उससे मिली है सज़ा,
ग़म-ए-जुदाई का एक ऐसा दर्द बनकर।

सब कुछ लुटा बैठे खोकर चैनओ-क़रार,
रह गए इस इश्क़ की गली में गुम होकर।

न सोंचा न समझा यह दिल दे बैठे उसको कृष्णा"
सौंप दिया ज़िंदगी ग़म के"उस वक़्त"से बे'ख़बर।

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YESTERDAY AT 10:48

मीरा जब शादी करके अपनी
ससुराल जाती है तो
उसे घुटन सी लगती है कोई उससे
बात नहीं करता।बड़ा ही स्टेंडर्ड परिवार
मिलने का यह इनाम मिला एक बहू को।
वह नाश्ता ले जाती तो कोई भी उससे
नहीं कहता मीरा आओ तुम भी साथ
नाश्ता करो। और वह दुःखी रहती है
इसकी भी वजह है जैसे एक पत्ता केवल
खुद को पत्ता समझता है वह अपना
अस्तित्व समझ नहीं पाता कि मैं एक डाली
से जुड़ा हूँ एक पेंड से और जड़ों से जुड़कर
घरती से।
ऐसे ही एक औरत अपने अस्तित्व की खोज़
में सारी उम्र दर्द में गुज़ार देती है।

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5 MAY AT 21:35

ठहरे हुए पानी में
कंकर ना मार साँवरी
मन में हलचल सी मच जाएगी
बावरी हो...

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5 MAY AT 12:39

सुबह का सूरज रोज नई उम्मीद लेकर आता है
नित नई उमंगें नई नई राहें सबको।दिखाता है

दूर करता आलस्य ऊर्जा भर देता है जीवन में
अँधेरों को चीर कर नई शक्ति से भर जाता है

हर निराशाओं को बदल कर के आशाओं में
ज़िंदगी कर हर हसरतें सपने साकार कराता है

काली अँधेरी रातों को समेट कर अपने प्रकाश में
कृष्णा"निरंतर मन में स्फूर्ति उर्ज़ा प्रवाहित कर जाता है

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5 MAY AT 12:26

ना कोई उमंग है
ना कोई तरंग है
मेरी ज़िंदगी है क्या
इक कटी पतंग है

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5 MAY AT 10:45

एक छोटे से गाँव में सपना नाम की लड़की रहती थी
वह राहुल नाम के लड़के से अपने माता पिता के खिलाफ़ शादी कर ली।
राहुल बड़ा ही गुस्सैल किस्म का लड़का था एक दिन
ऑफिस से देर रात लौटा सपना ने पूँछा आप इतना
लेट क्यों आए आज।इतने में ही राहुल कोधित होकर
सपना पर बरस पड़ा और लात घूसों से उसकी ख़ूब
पिटाई किया।अब सपना का स्वाभिमान यह इज़ाज़त
नहीं दिया क्यों कि राहुल हमेशा यही करता था।
अब सपना एक लेटर लिख कर रख दिया कि मैंने
बहुत सहा अब अपना स्वाभिमान नहीं खो सकती
अब मैंने तुम्हें छोड़ने का फ़ैसला लिया है हमेशा के
लिए।अब राहुल घबराया और सपना के घर जाकर
उससे माफ़ी माँगने लगा।
इस कहानी से हमे सीख मिलती है कि हमें
अपना स्वाभिमान नहीं खोना चाहिए

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4 MAY AT 19:31

खोए हैं तेरी चाहत में हम तो इस क़दर,
न रही कोई और चाहत न अपनी ख़बर।

सूना लगे हर श्रृंगार अब तुम बिना सनम,
खोए रहते तेरे ही ख़्यालों में शाम-ओ-सहर।

तुम बिन अब कुछ भी न भाता है मुझको,
ख़ुद में खोकर तुझको हर पल ढूँढती नज़र।

क्यों सताता है छोड़ तन्हा मुझे वो बे'ख़बर,
कृष्णा"थाम लो आकर हाथ ओ मेरे रहबर।

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4 MAY AT 19:11

आएँगी ग़र पथरीली राहें तो उठा लूँ तुम्हें बाहों में सनम,
आँच न आने देंगे कोई तुमपर हँसते हँसते जान भी दे देंगे हम।

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