Khushi Pareek   (खुशी)
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हर रोज़ यह कलम जाने कितना कुछ कह जाती है ,
क्योंकि लिखना मेरा शौक नहीं आदत है...💫
Joined 25 June 2018


हर रोज़ यह कलम जाने कितना कुछ कह जाती है ,
क्योंकि लिखना मेरा शौक नहीं आदत है...💫
Joined 25 June 2018
15 JUL 2022 AT 0:01



Someday we will just give up on love,
We will deny every emotion
and wipe every tear with a slight shove

Today we are dropping the veil of kindness and trust,
Our heart is absorbing pain and soon it will burst

Stars will stop shining and flowers will not bloom anymore
a little kid will still smile but there will be no one to adore

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7 JUN 2021 AT 23:08

गिले-शिकवों से कर किनारा
हर रंज अब मिटा देना
और चिंता को अंजुरी में भर
इक फूँक से उड़ा देना


(अनुशीर्षक में पढ़ें)


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31 MAY 2021 AT 15:36

धरा उद्विग्न हो उठी उस रोज़
अश्रु नभ के ना थमते थे
जल नदी का जैसे रक्त हुआ
हिम भी ज्वाला से जलते थे
दया-करुणा का शीश भी हुआ कलम
मानवता फूट कर रोती थी
जिस रोज़ साँझ में
अम्मा की प्यारी बिटिया ना लौटी थी

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28 MAY 2021 AT 16:37


क्या झेल पाएगा यह पृष्ठ इतने निर्मम दुख को?
दुख जो आहत कर दे मनुष्य की रूह को,
जो छीन ले सूर्य का ताप अंतिम अंश तक,
जो चंद्रमा की रोशनी को परिवर्तित कर दे अंधकार में,
जो बेरंग कर दे बहार का हर पुष्प,
जो बर्फ-सा जमा दे हर आँख का अश्रु,
दुख जो जीवन को भी मृत्यु तुल्य बना दे,
क्या इतने दुख का बोझ उठा पाएगा यह पृष्ठ?

(अनुशीर्षक में पढें)


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18 DEC 2020 AT 17:56

सीधा पढ़कर उल्टा बिसराए ,"अध जल गगरी छलकत जाए"
नभ का भेद ना जाने हम ,और ना ही ज्ञान धरा का है
"सिध्दांतवाद" की बातें छोड़ो ,यहाँ तो मूढ़ लहराते पताका है।
प्रश्नों का भेद हम समझ ना पाते ,मस्तिष्क भ्रान्तियों से अटा रहे
कोई कितना भी उत्तम समझाए ,मौजी मन बस खुद पर डटा रहे।
पैबंद लगी ज्ञान की चादर ओढ़े ,है सब इस समर में खड़े हुए
हर तर्क पर उन्माद मचा रहे
अरे देखो!
"कैसे हम चिकने घड़े हुए"।
थोड़ा कुछ तो हमें ज्ञात है ,और शेष हम सुन ना पाए
हम सीधा पढ़कर उल्टा बिसराए ,"अध जल गगरी छलकत जाए"।


-खुशी पारीक

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10 DEC 2020 AT 11:36

यह "नन्हे मूक जीव" इस धरती पर शेष प्रेम के सबसे पहले अधिकारी है।

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12 NOV 2020 AT 22:27

.......

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7 NOV 2020 AT 18:27


I think that the "Human Devil" is succeeding in his ruthless aim,
and i am sure after a few decades there will be no humanity to claim.


(Read the caption)





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10 OCT 2020 AT 20:00

अंतराष्ट्रीय बालिका दिवस

(अनुशीर्षक में पढ़ें)

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28 SEP 2020 AT 19:05

साँझ

(अनुशीर्षक में पढ़ें)

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